पश्चिम बंगाल की सरकार ने केंद्र सरकार से गुहार लगायी है कि वह राज्य से तिल के तेल के आयात पर लगी रोक हटा ले।
राज्य के मुख्यमंत्री ने वाणिज्य मंत्री कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा है कि प. बंगाल में पैदा होने वाले कुल तिल-तेल का 90 फीसदी निर्यात के लायक होता है, लिहाजा इसके निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया जाए।
अभी पिछले ही महीने केंद्र सरकार ने मूल्य वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए सभी तरह के खाद्य तेलों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। पर राज्य सरकार के अनुरोध को देखते हुए इस महीने की शुरूआत में अरंडी, नारियल और जंगली उत्पादों से पैदा होनेवाले तेलों के निर्यात पर लगी रोक हटा ली थी। हालांकि मूंगफली और तिल के तेलों पर रोक अभी भी जारी है। इसकेपीछे की वजह इसका बडे पैमाने पर होने वाला खपत और इसके कारण महंगाई पर पड़ने वाला प्रभाव है।
तिल का तेल निर्यात करने पर लगे प्रतिबंध से राज्य को प्रति वर्ष 1.04 करोड़ डॉलर का नुकसान हो रहा है। इसकी खेती से 10 लाख किसान जुड़े हुए हैं। प. बंगाल में तो पिछले साल तिल उत्पादन क्षेत्र में 26 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई थी। कुल तिलहन उत्पादन क्षेत्र के 37 फीसदी यानि 2.40 लाख हेक्टेयर में 1.86 टन तिल तेल उत्पादित किया गया था। फिलहाल यहां 6.50 लाख हेक्टेयर में तिलहन की खेती हो रही है।