पहले ही प्रतिभाओं की कमी से जूझ रहे कमोडिटी बाजार के सामने नई समस्या आ गई है।
अभी हाल ही में चार जिंसों के कारोबार पर पाबंदी लगने के बाद कमोडिटी एक्सचेंजों और ब्रोकरों को एक नई दिक्कत ने आ घेरा है। दरअसल इनके सामने मुश्किल यही है कि इन जिंसों की व्यापारिक गतिविधियों में लगे लोगों को कहां समायोजित किया जाए।
उनमें से अधिकतर गैर नकदी जिंसों की ओर चले गए हैं। वैसे दूसरों के लिए पोर्टफोलियो भी बड़ा हो गया। पहले जहां एक कर्मचारी के पास 2 से 3 जिंसों का काम होता है अब उनके पास 4 से 5 जिंसों का काम होता है। इस तरह लगता है कि भविष्य में उठाए जाने वाले ऐसे किसी भी कदम से उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं दिख रहा है। इसके अलावा उनकी नजरे कृषि और गैर कृषि जिंसों के वायदा और हाजिर दोनों तरह के कारोबार पर भी लगी हुई हैं।
हालांकि ब्रोकिंग फर्मों की मंडी आधारित शाखाएं या तो अपनी चालू इक्विटी ब्रोकिंग के बढ़ाने में लगी हैं या फिर कृषि जिंसों के हाजिर कारोबार के आंकड़ों को इस उम्मीद से जुटाने में लगे हैं कि निलंबित अवधि के बाद प्रतिबंधित जिंसों का वायदा कारोबार शुरू हो सके।
आनंद राठी में शोध विभाग के प्रमुख किशोर नार्ने कहते हैं कि कुछ जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगाने से भारत में महंगाई दर को काबू में नहीं किया जा सकता। हमारा विश्वास है कि जल्द ही इन जिंसों की कार्पोरेट और रिटेल हेजिंग दोबारा शुरू होगी।
आनंद राठी में प्रत्येक विश्लेषक को एक-एक क्षेत्रीय कृषि जिंस के प्रभार के साथ-साथ एक वैश्विक बेंचमार्क जिंस की जिम्मेदारी भी दी गई है। वैसे आलू, सोया ऑयल, चना और रबर के वायदा कारोबार पर रोक से अभी तक कर्मचारियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
ब्रोकिंग फर्म दूसरे घरेलू उत्पादकों से खाद्य तेल के आंकड़े और रिपोर्ट मंगा रही हैं। गौरतलब है कि सरकार ने सबसे ज्यादा कारोबार करने वाली जिंसों गेहूं, चावल, उड़द और तुअर के वायदा कारोबार पर पहले ही पाबंदी लगा रखी थी। इन जिंसों के वायदा कारोबार को प्रतिबंधित करने के पीछे सरकार का यही तर्क था कि इस वजह से हाजिर बाजार में इन जिंसों की कीमतें बढ़ रही थीं।
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के प्रमुख जयंत मांगलिक कहते हैं कि कर्मचारियों को लेकर कोई सवाल ही नहीं उठता है। बाजार पहले ही प्रशिक्षित और प्रतिभाशाली कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में नौकरियों में किसी भी तरह की कटौती कैसे की जा सकती है? उनका कहना है कि बाजार में कारोबार बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
एक्सचेंज जल्द ही कुछ और वस्तुओं के वायदा कारोबार की शुरूआत करने जा रहे हैं। इसके चलते रेलिगेयर भी अपने कर्मचारियों को दूसरे जिंसों के कारोबार में लगा देगी। रेलिगेयर अधिक से अधिक ग्राहक बनाकर उनको बेहतरीन सुविधा देने की योजना पर भी काम कर रही है। अभिजीत सेन समिति के अलावा सरकारी की दूसरी एजेंसियां इस बात को सिद्ध करने में विफल रहीं कि कीमतों को बढ़ाने में किसी भी तरह से वायदा कारोबार की भूमिका है।
दरअसल कुछ राजनीतिज्ञ सोचते हैं कि वायदा कारोबार कीमतें बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। इसके चलते ही सरकार ने 4 और जिंसों के वायदा कारोबार पर रोकर लगा दी। लेकिन जल्द ही सरकार को लग भी गया कि किसी जिंस के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगाकर कीमतों को काबू में नहीं किया जा सकता। वैसे जब अमेरिका में भी वायदा कारोबार की शुरूआत हुई थी तब भी कीमतों में तेजी का रुख देखा गया था।
ऐंजेल ब्रोकिंग के कमोडिटी प्रमुख नवीन माथुर कहते हैं कि सरकार ने जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगाने वाले के अलावा आयात शुल्क में छूट और निर्यात पर शुल्क लगाने जैसे कदम भी उठाए हैं। उनका मानना है कि इससे हेजर्स का विश्वास फिर से बहाल हो रहा है।
वैसे यह बात एकदम सही है कि इन जिंसों के कारोबार पर पाबंदी लगने से एक्सचेंजों और ब्रोकरों के टर्नओवर में कमी आएगी। वैसे इस बात की संभावना भी कम ही है कि 4 महीने के बाद भी इन जिंसों का वायदा कारोबार फिर से शुरू हो पाएगा।