वायदा बाजार आयोग के चेयरमैन बी. सी. खटुआ ने कहा है कि कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स के चलते देसी कमोडिटी एक्सचेंज का कारोबार विदेशी प्लैटफॉर्म की ओर सरक सकता है।
उन्होंने कहा कि यह टैक्स कमोडिटी एक्सचेंज में डब्बा कारोबारियों (अवैध कारोबारी) को पनपने के लिए जमीन तैयार कर देगा। खटुआ ने शुक्रवार को यहां आयोजित वर्ल्ड कमोडिटी फोरम में शामिल होने के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी।
गौरतलब है कि इस साल पेश बजट में वित्त मंत्री ने सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स की तर्ज पर कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था। इस टैक्स की दर 0.17 फीसदी रखी गई है यानी प्रति एक लाख के कारोबार पर 17 रुपये का सीटीटी देना पड़ेगा। कमोडिटी कारोबार से जुड़े सभी भागीदारों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है।
वैसे बताया जाता है कि सीटीटी को 0.17 फीसदी से 0.08 फीसदी पर लाने की बाबत बातचीत चल रही है यानी प्रति एक लाख के कारोबार पर 8 रुपये का टैक्स लगाने की बात हो रही है। इस संबंध में खटुआ ने कहा कि बावजूद इसके देसी कमोडिटी एक्सचेंज में यह कारोबार की मात्रा पर अच्छा खासा असर डालेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि सीटीटी को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है क्योंकि सरकार ने इस बाबत अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। कमोडिटी ब्रोकिंग कंपनियां हालांकि अपने क्लाइंट से 2-3 पैसे का चार्ज वसूल रही है। लेकिन अगर सीटीटी लागू किया गया तो ट्रांजेक्शन की लागत 800 गुना से ज्यादा बढ़ जाएगी।
गेहूं के वायदा कारोबार पर पिछले साल लगाई गई पाबंदी का उदाहरण देते हुए खटुआ ने कहा कि गेहूं वायदा से जुड़े कारोबारी ने विदेशी कमोडिटी एक्सचेंज का रुख कर लिया है यानी वे शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड के जरिए गेहूं वायदा कारोबार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देसी कमोडिटी एक्सचेंज केकारोबार पर निश्चित रूप से इसका असर पड़ा है क्योंकि ये कारोबारी यहां दूसरी कमोडिटी रुख नहीं कर रहे हैं।
भारत में कमोडिटी वायदा कारोबार अभी परिपक्व नहीं हुआ है कि यह सीटीटी का भार झेल सके। देश की कुल कमोडिटी पैदावार के 5 फीसदी हिस्से के बराबर ही यहां कारोबार होता है। इसलिए सबसे पहले हमें एक्सचेंज में किसानों की भागीदारी बढ़ानी होगी ताकि कारोबार बढ़े। एनसीडीईएक्स के एमडी व सीईओ पी. एच. रविकुमार कहते हैं – वर्तमान परिस्थितियों में सीटीटी लागू किए जाने से देसी कमोडिटी एक्सचेंज में डब्बा कारोबारियों का जमावड़ा लगेगा।
यहां अभी भागीदारों मसलन म्यूचुअल फंड, बैंक और विदेशी संस्थानों को कारोबार करने की इजाजत देने की जरूरत है ताकि देसी एक्सचेंज में कारोबार बढ़े।देश के सबसे बडे क़मोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स के सीनियर अफसर का कहना है कि अच्छे मौके, पारदर्शिता और कम ट्रांजेक्शन लागत के चलते बड़ी कंपनियां इस प्लैटफॉर्म पर आकर कारोबार कर रही हैं।
ऐसे में अगर ट्रांजेक्शन लागत बढ़ेगी तो निश्चित रूप से ये कंपनियों विदेशी कमोडिटी एक्सचेंज का रुख करेंगी। एनसीडीईएक्स के सीईओ अनिल मिश्रा ने भी कहा कि सीटीटी लगाने से देसी एक्सचेंज का कारोबार विदेशी कमोडिटी एक्सचेंज की ओर शिफ्ट कर जाएगा। वास्तव में पारदर्शिता व स्थिरता केचलते ही अवैध कारोबारी धीरे-धीरे कमोडिटी एक्सचेंज की ओर बढ़ रहे हैं।
कीमत के लिहाज से भी कमोडिटी एक्सचेंज अच्छा प्लैटफॉर्म है। इसी की बदौलत किसानों को अपने उत्पाद की अच्छी कीमत मिल रही है जबकि उपभोक्ताओं को सस्ती चीजें मिल रही हैं क्योंकि यहां विचौलिये नहीं हैं और उनका मार्जिन बच रहा है। इसके साथ ही आपूर्ति में भी सुधार हो रहा है।
अगर सीटीटी लागू कर दिया जाए तो ये फायदे घाटे का सौदा साबित हो सकते हैं। बाजार के सूत्रों के मुताबिक पिछले 100 साल से चालू विदेशी कमोडिटी एक्सचेंज में प्रति लाख के कारोबार पर 4-6 रुपये का ही टैक्स लगता है और वहां अरबों डॉलर का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है।