सीमेंट की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार सीमेंट कंपनियों को राह पर तो ले आयी थी लेकिन अब लगता है कि रास्ता उतना भी आसान नहीं है।
सीमेंट बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी एसीसी ने तो अगले 2-3 महीने तक कीमतें न बढ़ाने का फैसला ले लिया लेकिन बाकी कंपनियां इस रास्ते पर चलने को तैयार नहीं हैं। सीमेंट के दाम स्थिर रखने या घटाने के मसले पर उद्योग में सहमति नहीं बन पा रही है।
बाजार के जानकारों के मुताबिक जब तक सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती और छूट के मसले पर कोई ठोस नीति तैयार नहीं करती है तब तक नहीं लगता है कि कंपनियां एसीसी के रास्ते पर चलने के लिए तैयार होंगी।
श्री सीमेंट के प्रबंधक निदेशक और सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एचएम बांगर कहते हैं कि कीमतें न बढ़ाने का फैसला एक कंपनी का अपना व्यक्तिगत फैसला है और कंपनियां अपने हिसाब से व्यवहार कर रही हैं। बिरला समूह के एक उच्चाधिकारी का भी कहना है कि सीमेंट की कीमतों पर फैसला तो व्यक्तिगत तौर पर ही होगा। उनका यह भी कहना है कि कुछ कच्चे पदार्थों की कीमतों की वजह से कंपनियों पर कीमतें बढ़ाने का दवाब है।
फिलहाल देश भर में सीमेंट की एक बोरी की कीमत 230 रुपये है जबकि मुंबई, दिल्ली और दूसरे मेट्रो शहरों में सीमेंट की बोरी 240 से 275 रुपये मे मिल रही है। तकरीबन 18.90 करोड़ टन उत्पादन वाली घरेलू सीमेंट कंपनियों पर कीमतों को बढ़ाने के लिए कार्टल बनाने का आरोप लगता रहा है। इस बीच तेजी से बढ़ रही महंगाई को काबू करने के लिए सरकार सीमेंट की कीमतों को कम करने के लिए अपनी ओर से कोशिशें कर रही है।
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा है कि सरकार सीमेंट कंपनियों से कीमतों को लेकर बातचीत कर रही है। दूसरी ओर सीमेंट कंपनियों का कहना है कि सीमेंट की कीमतों में जो तेजी आ रही है उसके लिए कच्चे माल की कीमतों में बेतहाशा बढोतरी और डयूटी जिम्मेदार है।
सीमेंट उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसे समय में जब ज्यादातर कंपनियां अपनी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन कर रही हैं और अपनी क्षमताओं में और वृद्धि करने की दिशा में काम कर रही हैं, कार्टल बनाने का सवाल ही नहीं उठता है। अंबुजा सीमेंट के एक अधिकारी का कहना है कि कंपनी की सरकार से कीमतों और अन्य मुद्दों को लेकर बातचीत चल रही है। उनको उम्मीद है कि इस मामले में जो भी समस्याएं आ रही हैं, उनको जल्द ही दूर कर लिया जाएगा।