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सीमेंट की कीमतों में लगी आग

Last Updated- December 10, 2022 | 1:50 AM IST

सीमेंट की कीमतों में बढ़ोतरी अब सामने आ ही है। पिछले 15 दिनों में पश्चिम और दक्षिण भारत में कीमतें 2 से 3 रुपये प्रति बोरी बढ़ चुकी है। दिसंबर में उत्पाद कर चार प्रतिशत घटाने के बाद प्रमुख सीमेंट उत्पादकों ने कीमतों में कटौती की थी।
भारत के पश्चिमी क्षेत्र की बात करें तो सबसे अधिक कीमत मुंबई में है जहां 50 किलोग्राम के एक बोरी की कीमत लगभग 245 रुपये से 250 रुपये है जबकि उत्तर भारत में कीमतें लगभग 230 रुपये प्रति बोरी है।
कीमतों में बढ़ोतरी की पुष्टि करते हुए सीमेंट उत्पदक संघ के अध्यक्ष और श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एच एम बांगुर ने कहा कि वर्तमान महंगाई दर की तुलना में कीमतों में हुई बढ़ोतरी कम है।
उन्होंने कहा कि जहां प्रति बोरी  लागत मूल्यों में आठ रुपये की बढ़ोतरी हुई है वहीं उपभोक्ताओं के साथ इसका एक हिस्सा ही बांटा गया है। 

बांगुर ने कहा, ‘कीमतों में इजाफे के बाद भी लाभ पिछले साल जैसा नहीं रहेगा। साल 2008-09 की तीसरी तिमाही में सीमेंट कंपनियों की आय में संचयी तौर पर लगभग 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि लाभ 25 प्रतिशत कम हुआ है।’
देश के पूर्वी हिस्से में सीमेंट की कीमतें 230 रुपये प्रति बोरी  पर स्थिर हैं लेकिन दक्षिणी हिस्से में इसकी कीमत 267 रुपये प्रति बोरी  है। 

औद्योगिक सूत्रों ने संकेत दिया कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक क्षेत्र में रियल्टी और अन्य आईटी बुनियादी परियोजनाओं की वजह से मांग में लगभग 15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मुंबई स्थित एक विश्लेषक ने भविष्यवाणी की कि दक्षिण भारत में सीमेंट की कीमतें आने वाले वित्त वर्ष की पहली तिमाही से पहले घट सकती हैं क्योंकि नई क्षमताएं चालू होने वाली हैं।
देश के उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र में आगामी दो महीने के दौरान और दो रुपये प्रति बोरी  की बढ़ोतरी हो सकती है।
राजस्थान स्थित बिनानी सीमेंट के बिनोद जुनेजा ने कहा, ‘बुनियादी क्षेत्र की मांग बढ़ने और सीमेंट उत्पादकों की लागत मूल्श् बढ़ने से अप्रैल तक कीमतों में और दो-तीन रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है।’
हालांकि, जुनेजा ने कहा कि राजस्थान और पंजाब में कीमतें अपेक्षाकृत कम, 202 से 205 रुपये प्रति बोरी  थीं क्योंकि परियोजना स्थल से बंदरगाहों तक इसके पहुंचाने की लागत कम थी। गुजरात में कीमतें थोड़ी अधिक 210 से 220 रुपये प्रति बोरी थी क्योंकि वहां मांग अधिक थी।
विश्लेषकों और उद्योग के भेदियों ने संकेत दिया कि देश के पश्चिमी क्षेत्र के डीलरों को परिवहन की वजह से आपूर्ति संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा था और कुछ कंपनियों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए कीमतों में बढ़ोतरी की थी।
एक विश्लेषक ने बताया, ‘नई क्षमताओं के चालू होने से दीर्घावधि में कीमतों पर दबाव बना रहेगा। रियल्टी क्षेत्र, देश में सीमेंट की खपत में जिसकी हिस्सेदारी लगभग 55 प्रतिशत की है, के सुस्त पड़ने से भी कीमतों पर दबाव रहेगा।’
बांगुर ने कहा, ‘अनुमान है कि इस साल सीमेंट संयंत्र अपनी 80 से 85 क्षमता कर इस्तेमाल करेंगें।’ उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक तौर पर मांग बढ़ने से पहले क्षमता बढ़ाई जाती रही है और कीमतों पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं रहेगा।

First Published - February 20, 2009 | 10:50 PM IST

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