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चना बाजार में मंदी के आसार

Last Updated- December 09, 2022 | 9:36 PM IST

प्रमुख चना उत्पादक क्षेत्रों में हाल में हुई बारिश, रकबे में बढ़ोतरी और ट्रकों की हड़ताल समाप्त होने का असर चना बाजार में नरमी के तौर पर होगा।


कारोबारी और कमोडिटी विश्लेषकों ने कहा कि चना बाजर में मंदी आने के आसार हैं क्योंकि जनवरी के अंत तक आवक बढ़ जाती है। चना उन आवश्यक जिन्सों में शामिल है जिसके वायदा कारोबार पर सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए पाबंदी लगा दी थी।

उल्लेखनीय है कि पिछले सीजन में इसकी कीमतें लगभग 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर तक पहुंच गई थी। ट्रक मालिकों की हड़ताल की वजह से पिछले एक सप्ताह में प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों पर आपूर्ति बाधित हुई थी।

इसे देखते हुए वायदा बाजार में चने की कीमतों में पिछले सप्ताह तेजी देखी गई। पिछले सप्ताहांत में फरवरी अनुबंध वाले चने का सौदा वायदा बाजार में 2,138 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, यह इस साल अब तक की सबसे बड़ी कीमत रही। हालांकि, हाजिर बाजार इससे ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ था।

दाल निर्यातक संघ के संयुक्त सचिव प्रदीप जिंदल ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि इस देश में कुल मिला कर लगभग 58 लाख चना का उत्पादन होगा ।

जबकि पिछले साल यह 52 लाख टन था। बाजार में मांग की कमी है इसलिए हमें लगता है कि अगले एक महीने में जब आवक में तेजी आती है तो इसके बाजार में मंदी आएगी।’

खबर है कि दिल्ली की डीएच लॉरेन्स मंडी में चने से लदे 20 ट्रक (प्रत्येक ट्रक में 15 से 20 टन) आए हैं जो 35 से 40 ट्रकों की औसत आवक से कम हैं।

कारोबारियों ने कहा कि आने वाले दिनों में आवक सामान्य हो जाएगी। इसलिए, अगर कीमतों में किसी प्रकार की बढ़ोतरी भी होती है तो वह रुक जाएगी।

राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र देश के प्रमुख चना उत्पदक क्षेत्रों में शामिल हैं। वर्तमान में इंदौश्र के हाजिर बाजार में चने की कीमत 2,100 से 2,120 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि दिल्ली के बाजार में फिलहाल 2,100 से 2,125 रुपये प्रति क्विंटल का भाव चल रहा है।

कारोबारियों का अनुमान है कि अगले पखवाड़े में कीमतों में लगभग 50 से 60 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आएगी। मध्य प्रदेश दाल उद्योग महासंघ के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा, ‘फसल इस वर्ष अच्छी है और बाजार में तेजी के आसार कम ही हैं।

इसके अतिरिक्त, उत्पदक राज्यों में हाल में हुई बारिश से फसल बेहतर होने की उम्मीद है। मेरे हिसाब से चने की कीमत 2,200 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए।

एक पखवाड़े के अंदर ही मध्य प्रदेश में चने की आवक शुरू हो जाएगी’। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले कुछ दिनों में राजस्थान में भी बारिश हो सकती है।

घरेलू उत्पादन के अलावा ऑस्ट्रेलिया से किया जाने वाला आयात, जो कारोबारियों के अनुसार लगभग एक लाख टन का है, की वजह से देश में चना की कीमतों में आगे और नरमी आएगी।

अग्रवाल ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया से आयात किए जाने वाले चने की कीमत 500 डॉलर प्रति टन से घट कर 380 डॉलर प्रति टन हो गई है।’ जिंदल ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई चने (मुंबई बंदरगाह के रास्ते आने वाले) की वजह से बाजार में और नरमी आएगी।

शेयरखान की एक कमोडिटी रिपोर्ट के अनुसार, ‘इस साल चने का रकबा 8 प्रतिशत बढ़ने से उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद बढ़ गई है। हमारा अनुमान है कि मध्यावधि में चना बाजार में मंदी का रुख रहेगा।’

कमोडिटी विश्लेषकों के अनुसार आवक शुरू होने और ट्रक हड़ताल समसप्त होने के बाद आपूर्ति सामान्य होने से दिल्ली और अन्य प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों के हाजिर भाव घट कर 2,000 प्रति क्विंटल से कम हो सकते हैं।

First Published - January 13, 2009 | 9:35 PM IST

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