facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

रसायन बाजार में ‘केमिकल लोचा’

Last Updated- December 08, 2022 | 11:07 AM IST

रसायन बाजार का समीकरण बिगड़ चुका है। वर्ष 2008 के आरंभ में सब कुछ सही चल रहा था। कारोबार का रसायन तेज आंच पर अपना काम कर रहा था।


अचानक चीन से आने वाले रसायन बाजार से गायब हो गये। घरेलू रसायन की निकल आयी और कीमत सातवें आसमान पर पहुंच गयी। तभी से रसायन बाजार के कारोबार का रंग फीका पड़ने लगा। कारोबारियों का कहना है कि इस साल उन्होंने जितना कमाया उतना ही गंवाया।

कुल मिलाकर कारोबार में 20 फीसदी तक की गिरावट रही। कारोबार के लिहाज से वर्ष 2009 के दौरान रसायन कारोबारी तेजी की उम्मीद तो कर रहे हैं, लेकिन हर तरफ छायी मंदी के कारण नए साल के प्रति वे उदासीन नजर आ रहे हैं।

सुशील गोयल, (प्रधान, रसायन बाजार संघ ) का कहना है कि ‘जनवरी से अगस्त-सितंबर तक कारोबार बिल्कुल ठीक चल रहा था। ओलंपिक खेल के कारण चीन ने तीन महीनों के लिए रसायन का निर्यात बंद कर दिया था। इस दौरान स्थानीय रसायन निर्माताओं की चांदी रही। उन्होंने जमकर रसायन का निर्माण किया और उसकी बिक्री भी हुई।

लेकिन इस दौरान रसायनों की कीमत दोगुनी हो गयी। सितंबर से रसायन का आयात फिर शुरू हो गया। दूसरी तरफ विश्व बाजार मंदा हो चुका था। चीन ने कीमत काफी कम कर दी थी। ऐसे में घरेलू निर्माताओं व कारोबारियों को भी कम कीमत पर माल बेचने को मजबूर होना पड़ा।

मुझे लगता है कि रसायन का बाजार 2009 में कमोबेश ठीक रहेगा। सुबह उठते ही आप रसायन का इस्तेमाल करने लगते हैं। साबुन, दंतमंजन, नमक, कपूर, धूपबत्ती सभी चीजों में रसायन का इस्तेमाल होता है। रसायन की मांग खत्म नहीं हुई है, कम जरूर हो गयी है। ज्यादा दिक्कत लगातार गिरते भाव से है।’

असल में रसायन कारोबार में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय बाजार में लगभग 50 फीसदी माल की आपूर्ति चीन से होती है। ओलंपिक के दौरान चीन ने रसायन का निर्यात तीन महीनों के लिए बंद कर दिया और इस कारण स्थानीय स्तर पर रसायन का उत्पादन होने लगा।

लिहाजा 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाले सोडियम हाइड्रोसल्फाइट की कीमत जुलाई के अंत तक 110 रुपये पर पहुंच गई। साइट्रिक एसिड की कीमत में दोगुनी बढ़ोतरी हुई।

First Published - December 25, 2008 | 11:01 PM IST

संबंधित पोस्ट