मध्य प्रदेश के हरदा जिले के सोयाबीन (Soybean) किसान रोहित काशिव को इस साल सोयाबीन की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है क्योंकि अब तक मौसम इस फसल के अनुकूल रहा है। लेकिन काशिव को इस बात डर जरूर सता रहा है कि अगर अगले 5 से 7 दिन के अंदर बारिश नहीं हुई तो उनकी अच्छी फसल की उम्मीद अधूरी रह सकती है।
अब तक फसल अच्छी स्थिति में, उत्पादन बढ़ने की उम्मीद
काशिव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस बार भी उन्होंने करीब 40 एकड़ खेत में सोयाबीन की फसल बोई है। सोयाबीन में फलियां बन चुकी हैं और कुछ फसल में दाने भी आने लगे हैं। अब तक मौसम इस फसल के अनुकूल रहा है। मैंने फसल की इतनी अच्छी स्थिति कई सालों बाद देखी है।
मौजूदा हालात के आधार पर इस साल 200 क्विंटल सोयाबीन पैदा होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल खड़ी फसल के समय बारिश से हुए नुकसान के कारण इस साल जितने ही रकबा में 125 क्विंटल सोयाबीन पैदा हुआ था।
सोयाबीन उद्योग के प्रमुख संगठन Soybean Processors Association of India (SOPA) ने 20 से 28 अगस्त के बीच प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की फसल का सर्वेक्षण किया है। इस सर्वेक्षण में सोपा ने कहा कि फसल फली बनने से लेकर फली भरने की अवस्था में है। शीघ्र पकने वाली किस्म की बोई गई फसल दाना भरने की अवस्था में है। आज तक फसल की स्थिति सामान्य है और इस पखवाड़े के दौरान हुई बारिश से फसल को मदद मिली है। साथ ही कीड़े और खरपतवार नियंत्रण में हैं।
सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (COOIT) के चेयरमैन सुरेश नागपाल कहते हैं कि फिलहाल सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगा। लेकिन ज्यादा बोआई और फसल की वर्तमान स्थिति को देखते हुए पिछले साल की तुलना में उत्पादन कम से कम 5 फीसदी बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है।
मॉनसून की बेरुखी से सोयाबीन उत्पादन बढ़ने की उम्मीद पर चिंता के बादल
सोयाबीन की फसल की स्थिति अभी भले बहुत अच्छी हो, लेकिन बारिश न होने से चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। काशिव ने बताया कि बीते 10 से बारिश नहीं हुई है, जबकि इस समय सोयाबीन फसल के लिए पानी की जरूरत है। अगर अगले 5 से 7 दिन के भीतर बारिश नहीं हुई तो सोयाबीन की फसल सूखने लगेगी। जिससे इस साल बेहतर उत्पादन की उम्मीद अधूरी रह सकती है।
SOPA के अनुसार अगस्त में बारिश में अभूतपूर्व कमी देखी गई है। इस समय सोयाबीन उत्पादक इलाकों में तुरंत बारिश की आवश्यकता है। बारिश में किसी भी तरह की देरी पूरे देश में सोयाबीन की फसल के लिए नुकसानदायक होगी क्योंकि बारिश न होने से फसल में नमी की कमी आ सकती है। जिससे उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हालांकि इस समय उत्पादन की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगा। सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि अगले 45 दिनों में मानसून कैसा व्यवहार करता है।
सोयाबीन का रकबा एक फीसदी बढ़ा
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 25 अगस्त तक देश में 124.71 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बोआई हो चुकी है, पिछली समान अवधि की तुलना में करीब एक फीसदी अधिक है। इस साल मध्य प्रदेश में 53.35 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 50.02 लाख हेक्टेयर में और राजस्थान में 11.44 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है। SOPA के अनुसार पिछले साल देश में करीब 124 लाख टन सोयाबीन पैदा हुआ था।