कच्चे तेल की कीमतों में वैसे तो स्थिरता का रुख है, लेकिन कीमतें अभी भी 125 डॉलर के ऊपर के स्तर पर बनी हुई हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि आपूर्ति की समस्या के चलते तेल की कीमतें अभी और ऊपर जा सकती हैं। न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में जून में तेल के वायदा कारोबार में 56 सेंट की कमी आई और कीमतें 125.40 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं।
दूसरी ओर ब्रेंट नॉर्थ सी में भी जून में तेल के वायदा कारोबार की कीमतों में 61 सेंट की कमी आई और कीमतें घटकर 124.79 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गईं। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते तेल की कीमतें रोज नये रेकॉर्ड बना रही थीं। इसको देखते हुए इस हफ्ते तेल की कीमतों से कुछ राहत ही मिली है। इस साल की शुरुआत से ही तेल की कीमतों में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है, जब तेल की कीमतों ने 100 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को पार किया था।
तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए विशेषज्ञों ने कई वजहों को जिम्मेदार बताया था। इसमें भी डॉलर में गिरावट व एशियाई देशों खासकर चीन और भारत की ऊर्जा जरूरत में हुई वृद्धि को इसका प्रमुख कारण बताया गया। इसके अलावा अफ्रीका में कच्चे तेल का सबसे बड़े उत्पादक नाइजीरिया में तेल का उत्पादन प्रभावित होने से भी कीमतें बढ़ी हैं। रॉयल डच शेल ने कहा था कि नाइजीरिया से तंग आपूर्ति के चलते कंपनी के रोजाना उत्पादन में 30,000 बैरल की कमी आ रही है।