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मांग घटने से कच्चे तेल की कीमत में नरमी

Last Updated- December 07, 2022 | 3:05 PM IST

एशियाई कारोबार में आज वैश्विक तेल की कीमतों में कमी आई। डीलरों ने बताया कि तेल की कीमतों को अमेरिकी मांगों में आई कमी, ईरान की विवादास्पद न्यूक्लियर योजनाओं से उत्पन्न हुई से कहीं ज्यादा प्रभावित कर रही हैं।


सुबह के कारोबार में न्यू यॉर्क का प्रमुख सौदा, सितंबी डिलीवरी वाला लाइट स्वीट क्रूड के मूल्य में 1.14 डॉलर की कमी आई और इसका कारोबार 120.27 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से किया जा रहा था। सोमवार को अमेरिका में फ्लोर ट्रेडिंग पर यह 121.41 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था।

लंदन का ब्रेट नॉर्थ सी क्रूड के सितंबर डिलीवरी वाले सौदे में 1.13 डॉलर की कमी आई और इसका कारोबार 119.55 डॉलर प्रति बैरल पर किया जा रहा था। डीलरों ने कहा कि नवीनतम अमेरिकी अर्थव्यवस्था के संकेतों से विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कमजोरी के इशारों से न्यू यॉर्क और लंदन में तीन महीने में पहली बार तेल की कीमतें गिर कर 120 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आई हैं।

अमेरिकी वाणिज्य विभाग के मासिक सर्वेक्षण से कल यह बात सामने आई कि उपभोक्ताओं के खर्च में जून महीने में कमी देशी गई जबकि महंगाई का दवाब बढ़ रहा था। अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और उपभोक्ताओं के खर्च में किसी प्रकार की कमी आम तौर पर वैश्विक तेल की मांग में आने वाली कमी की तरफ  इशारा करता है। विश्लेषकों ने कहा कि उष्णदेशीय तूफान एडॉर्ड के बारे में कहा जा रहा है कि उसके कारण आज लैंडफॉल हो सकता है। इससे कीमतों में अस्थाई तौर पर सीमित बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि अमेरिकी तेल की मांग से निवेशक ज्यादा जुड़े हुए हैं।

सोसियाते जेनरल के एक कमोडिटी विश्लेषक ने रिपोर्ट में कहा है, ‘अमेरिकी मांगों में जल्दी सुधार होने के आसार नहीं हैं। उष्णदेशीय तूफान एडॉर्ड अल्पावधि के लिए तेल की कीमतों को थोड़ा समर्थन दे सकता है लेकिन मांग की संभावना कीमतों पर भारी पड़ रही हैं।’दूसरी तरफ न्यू यॉर्क के मौसमविदों ने बताया कि टैक्सस की तरफ बढ़ते हुए एडॉर्ड अमेरिकी खाड़ी की उठपादन सुविधाओं को प्रभावित किए बिना आगे बढ़ जाएगा। विश्लेषकों के मुताबिक तेल की कीमतों के 120 डॉलर प्रति बैरल से नीचे फिसलने में इसकी भी भूमिका है।

First Published - August 5, 2008 | 11:19 PM IST

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