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दीवाली तक दिल जलाएगा कच्चा तेल, करेगा 175 डॉलर को पार!

Last Updated- December 07, 2022 | 9:00 AM IST

विश्व भर की उभरती हुई अर्थव्यवस्था में अगर तेल की मांग में कमी नहीं हुई तो कच्चे तेल में मजबूती बनी रह सकती है और विशेषज्ञों ने दीवाली तक इसके 175 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाने की संभावना जताई है।


मार्च से अब तक कच्चे तेल में 40 डॉलर प्रति बैरल का उछाल आया है। फिलहाल न्यू यॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज में कच्चा तेल 142 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है। रेलिगेयर कमोडिटीज के कमोडिटी बिजनेस हेड जयंत मांगलिक ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में जिस तरह जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ रही हैं, कच्चा तेल 175 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकता है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर इस्राइल ने इरान पर हमला कर दिया मध्य पूर्व में सप्लाई की स्थिति खराब होगी और अंतत: स्थिति और भी विकट हो सकती है, ऐसे में कच्चा तेल और भी ऊंचे स्तर को पार कर सकता है। मांगलिक ने कहा कि कच्चे तेल में हो रहे उतारचढ़ाव और राजनीतिक अनिश्चितता, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में छाई मंदी और पूरी दुनिया में तेल की मांग में हो रही बढ़ोतरी कच्चे तेल में उबाल लाती रहेगी।

मुंबई स्थित कोटक कमोडिटी के विशेषज्ञ धर्मेश भाटिया ने कहा कि टेक्निकल चार्ट देखने के बाद पता चलता है कि पिछले छह महीने के दौरान तेल की धार मजबूत हुई है और मेरे हिसाब से आगामी कई महीनों तक इसमें तेजी जारी रह सकती है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमत 175 डॉलर प्रति बैरल से भी आगे 200 डॉलर के स्तर को छू सकती है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के मामले में भारत के साथ-साथ दूसरी अर्थव्यवस्था को फिलहाल राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे, जो फिलहाल महंगाई से जूझ रही हैं।

फिक्की के एक्सपर्ट अंजय रॉय ने कहा कि आपूर्ति के मुकाबले कच्चे तेल की मांग में बढ़ोतरी तेज रफ्तार से हो रही है। उन्होंने हालांकि कहा कि यह अनुमान लगाना काफी मुश्किल काम है कि कच्चे तेल की कीमत कहां जाकर टिकेगी, लेकिन फिलहाल यह 140-150 डॉलर के आसपास रह सकती है। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के चलते दुनिया की कई अर्थव्यवस्था ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत की तरफ ताक रही हैं। ऐसे में तेल की कीमतों पर लगाम लग सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, कच्चे तेल की कीमत में तभी कमी आ सकती है जब इसकी मांग में कमी आए या फिर इसकी आपूर्ति में पर्याप्त इजाफा हो। फिलहाल पूरी दुनिया में रोजाना 87 मिलियन बैरल कच्चे तेल की मांग है जबकि सप्लाई 82 मिलियन बैरल की हो रही है। मांगलिक के मुताबिक, कीमत में कमी तभी हो सकती है जब मांग में कमी होगी और फिलहाल इसकेकोई लक्षण नजर नहीं आ रहे।

उन्होंने कहा कि अगर एक बार नकारात्मक ग्रोथ के चलते मांग में कमी आनी शुरू होगी तो फिर कीमतें भी उसी हिसाब से कम हो जाएगी और अंतत: सप्लाई में सुधार नजर आएगा। उन्होंने कहा कि 90 के दशक में ऐसी स्थिति देखने को मिली थी जब कच्चे तेल की मजबूत धार ने दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की धार कुंद कर दी थी और इसके बाद कीमतों में कमी आने लगी थी। राय ने कहा कि कीमतें तभी कम हो सकती हैं जब मांग-आपूर्ति के अंतर को पाट लिया जाए।

First Published - July 2, 2008 | 10:55 PM IST

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