तेल को लेकर मची हायतौबा रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। 4 जून को तेल के दाम बढ़ाने के बावजूद तेल आम आदमी की पहुंच से फिसलता जा रहा है।
इसकी वजह पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा प्रीमियम पेट्रो उत्पादों की बिक्री पर जोर देने को बताया जा रहा है। कंपनियों के इस रुख से आम आदमी तो परेशान हैं ही, पेट्रोल पंप वालों के कारोबार पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) अपने पंपों को केवल 60 फीसदी साधारण पेट्रोलियम उत्पाद मुहैया करा रही है। गौरतलब है कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है, जिसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 55 फीसदी है।
सूत्र यह भी बताते हैं कि देश की दो और दूसरी बड़ी पेट्रोलियम कंपनियों ने अपने पंपों पर नकेल कसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। इस मामले में भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल)ने जरूर कुछ राहत दी है, जो अपने पंपों को 80 फीसदी तक साधारण तेल उपलब्ध करा रही है। लेकिन भारत पेट्रोलियम की कसर हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने पूरी कर दी है। कंपनी अपने पंपों को केवल 50 फीसदी ही साधारण पेट्रोल-डीजल दे रही है।
एचपीसीएल के पंपों को मजबूरी में बाकी डीजल-पेट्रोल प्रीमियम श्रेणी का बेचना पड़ रहा है, जिससे उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है। दूसरी ओर, पेट्रोलियम कंपनियों का अपना तर्क है। उनके मुताबिक साधारण पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से होने वाले नुकसान के मुकाबले प्रीमियम पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री से उन्हें कम नुकसान होता है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि प्रीमियम पेट्रोलियम उत्पाद गाड़ी की सेहत के लिए भी अच्छे होते हैं। लेकिन इनकी कीमत उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ रही है।
हरियाणा में एचपीसीएल के पंप के मालिक नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि उनकी बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि शनिवार को ही कंपनी की बैठक हुई है, जिसमें सोमवार तक इस मामले में कुछ प्रभावी कदम उठाने की बात की गई है। दिल्ली में भी लोग प्रीमियम पेट्रोल-डीजल खरीदने को मजबूर हैं। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स असोसिएशन के संयुक्त सचिव अनुराग नारायण कहते हैं कि वैसे ही तेल के दाम बढ़े हुए हैं, ऊपर से प्रीमियम पेट्रोल-डीजल 4 रुपये महंगा है, ऐसे में कोई भी अपनी जेब पर और भार नहीं डालना चाहता।
जिसका नतीजा ग्राहक तो भुगत ही रहे हैं, हम लोगों का कारोबार भी इससे प्रभावित हो रहा है। लखनऊ में आईओसी के एक पेट्रोल पंप के मालिक अशोक अग्रवाल कहते हैं – कंपनी के इस दबाव से उनकी रोजाना की बिक्री 1,000 से 1,500 लीटर कम हुई है। इसको सीधे तौर पर समझें तो प्रीमियम पेट्रोल-डीजल की बिक्री के दबाव से उनकी 10 फीसदी बिक्री कम हो गई है।
अग्रवाल बताते हैं कि लोग उन पंपों का रुख कर लेते हैं, जहां पर साधारण पेट्रोल-डीजल उपलब्ध है। लखनऊ पेट्रोल पंप असोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर बोरा कहते हैं कि हम कोई दबाव बनाना भी चाहें तो कुछ नहीं कर सकते क्योंकि इस मामले में भारत सरकार की गाइडलाइन आड़े आ जाती है। जयपुर की बात करें तो यहां भी हालात कुछ अलग नहीं हैं और पेट्रोल पंप मालिकों के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है।
एचपीसीएल के पंप मालिक सुरेंदर प्रकाश बताते हैं कि इस वजह से उनका कारोबार लगभग आधा रह गया है। जबकि जयपुर में ही बीपीसीएल का पंप चलाने वाले नरेश अरोड़ा कहते हैं कि उन पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है।