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सीमेंट की बढ़ोतरी दर में गिरावट

Last Updated- December 05, 2022 | 4:42 PM IST


घरेलू सीमेंट उद्योग के उत्पादन की बढ़ोतरी की रफ्तार 2008 में पिछले एक दशक की तीसरी बड़ी गिरावट के रूप में दर्ज होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि कंपनियों का कहना है कि यह दौर अस्थायी है। उनका कहना है कि अगले साल से चीजें पटरी पर आ जाएंगी और उत्पादन में 9-10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।


माना जा रहा है कि मार्च महीने में सीमेंट का उत्पादन 1550 लाख टन का होगा जबकि 2008 में कुल उत्पादन 166760 लाख टन का रहेगा। हालांकि यह आंकड़ा पिछले साल के 155660 टन के मुकाबले 7.13 फीसदी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2007 में सीमेंट उद्योग में उत्पादन की बढाेतरी दर 9.76 फीसदी की रही। गौरतलब है कि मार्च का महीना सीमेंट उद्योग के लिए सबसे अच्छा महीना होता है। सीमेंट मैन्युफैक्चरिंग असोसिएशन के प्रेजिडेंट और श्री सीमेंट के चेयरमैन एच. एम. बांगड़ ने बताया कि 2007 में ऊंची उत्पादन का आधार लगातार दो साल से हो रहे उत्पादन की बदौलत तैयार हुआ है, जो 2004-05 के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा है।


उन्होंने कहा कि ये स्थिति लगातार जारी नहीं रह सकती। वित्तीय वर्ष 2001 और 2004 को छोड़कर सीमेंट उद्योग ने लगातार 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। 2001 के वित्तीय वर्ष में सीमेंट उद्योग का उत्पादन (-0.63 फीसदी) नकारात्मक रहा था जबकि वित्तीय वर्ष 2004 में यह 5.52 फीसदी के स्तर पर था। बांगड़ ने कहा कि सीमेंट उत्पादन की बढ़ोतरी दर में गिरावट अस्थायी है और इसमें चिंता जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि हम लंबी अवधि के बारे सोच रहे हैं और उस दौरान उत्पादन में अच्छी खासी बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी यानी आने वाले सालों में यह 9-10 फीसदी के स्तर पर आ जाएगा। वैसे सीमेंट उद्योग की बढाेतरी दर जीडीपी की बढ़ोतरी दर से दो फीसदी ज्यादा देखी गई है।


एंजेल ब्रोकिंग के रिसर्च हेड हितेश अग्रवाल ने बताया कि सभी सीमेंट कंपनियां अपनी पूरी कपैसिटी का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में इनकेपास अच्छा खासा स्टॉक जमा हो गया है और उत्पादन की बढ़ोतरी दर में गिरावट की यही मुख्य वजह है। इस दशक के मध्य में कई साल ऐसे गुजरे जब सीमेंट कंपनियां अपनी पूरी कपैसिटी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही थीं। उन्होंने कहा कि अब ये कंपनियां पूरी कपैसिटी का इस्तेमाल करने लगी हैं। जे. के. सीमेंट के चीफ फाइनेंशल अफसर ए. के. साराओगी ने कहा सीमेंट कंपनियों की नई कपैसिटी इस साल फलीभूत नहीं होंगी और उत्पादन की बढ़ोतरी दर में गिरावट की एक वजह ये भी है।


उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सीमेंट की खपत इसकी सप्लाई की सीमा को पार कर गई है। हालांकि उनका कहना है कि 2009 के बाद स्थिति में सुधार होगा, जब नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा। उस वक्त देश में सालाना 174.18 मिलियन टन की कपैसिटी होगी जबकि फिलहाल 2008 की शुरुआत में यह 166.73 मिलियन टन के स्तर पर था।

First Published - March 18, 2008 | 11:46 PM IST

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