facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

‘तिलहन कोष’ बनाने की मांग

Last Updated- December 05, 2022 | 4:59 PM IST

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने एक बार फिर तिलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए अलग से कोष बनाने की मांग की है।


एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर इसकी पैदावार बढ़ाने की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वित्तीय वर्ष 09 में घरेलू खपत की पूर्ति के लिए 67 फीसदी से भी अधिक तेल का आयात करना पड़ेगा। गत कुछ सालों से देश में तिलहन का उत्पादन 250-260 लाख टन के आसपास है। इसकी उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 950 किलोग्राम के आसपास है।


एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता के मुताबिक सरकार को वनस्पति तेलों के आयात से 6000-7000 करोड़ रुपये की आय होती है। और अगर इस आय का 10 फीसदी भाग भी तिलहन के विकास पर खर्च किया जाए या इससे एक कोष का निर्माण कर दिया जाए तो तिलहन के उत्पादन में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो सकती है।


फिलहाल खाद्य तेलों की सालाना कुल घरेलू खपत का 45 फीसदी हिस्सा आयात करना पड़ता है। गत वर्ष देश में 55 लाख टन वनस्पति का आयात किया गया था। इस आयात पर 15, 000 करोड़ रुपये का खर्च आया था। आंकड़ों के मुताबिक गत फरवरी महीने में वनस्पति के आयात में 200 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अनुमान है कि इस साल वनस्पति के आयात पर 20,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।


और स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो अगले साल तक यह बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये हो जाएगा। गत सप्ताह वनस्पति के आयात शुल्क में की गई कटौती के बारे में मेहता ने कहा कि इस कटौती से घरेलू बाजार में सिर्फ 2 से 3 रुपये प्रतिकिलो का फर्क पड़ेगा। उनके मुताबिक इस फैसले से वनस्पति के आयातक देशों को ज्यादा फायदा होगा। मेहता ने कहा कि सोमवार को मलेशिया के पामऑयल के बाजार में प्रतिटन 52 डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस कारण घरेलू बाजार के उपभोक्ताओं को आयात शुल्क में कटौती का लाभ नहीं मिल रहा है।


तेल उद्योग लंबे समय से इस बात की मांग कर रहा है कि पामऑयल को भी चाय व कॉफी की श्रेणी में रखा जाना चाहिए ताकि उद्योग ऑयल पाम को उगाने के लिए खेती योग्य जमीन में निवेश कर सके।


 मेहता ने बताया कि देश में पामऑयल में बड़े निवेश की कमी है। इसकी खेती के लिए किसी को भी हजारों एकड़ जमीन की जरूरत होती है। हमारे देश में छोटे किसान जमीन के छोटे टुकड़ों पर पामऑयल का उत्पादन करते है। इस कारण हमारे देश में इसका अधिक उत्पादन नहीं हो पाता है।

First Published - March 24, 2008 | 11:33 PM IST

संबंधित पोस्ट