उत्तर प्रदेश सरकार ने 2007-08 पेराई सीजन के लिए किसानों के बकाया चुका पाने में नाकाम रहने पर महाराजगंज जिले की गड़ौरा मिल के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी किया है।
राज्य के बड़े शराब कारोबारी जवाहर जायसवाल की मालिकाना नियंत्रण वाली इस मिल के खिलाफ पहले भी आरसी जारी हो चुके हैं। इसी 18 मार्च को इस मिल के अलावे दो और मिलों बागपत की मालकपुर और गाजियाबाद की मोदी मिल के खिलाफ भी आरसी जारी हो चुके हैं।
गन्ना विभाग के सूत्रों के मुताबिक, इस मिल के उपाध्यक्ष ए. के. रेड्डी के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत पहले ही एफआईआर दर्ज किया जा चुका है। मालूम हो कि इस मिल पर किसानों का कुल 35 करोड़ रुपये बकाया है। आश्चर्य की बात है कि अब तक 2006-07 पेराई सत्र का बकाया भी मिलों ने नहीं चुकाया है। राज्य सरकार के मुताबिक, 15 मई 2008 तक राज्य की सभी चीनी मिलों पर किसानों का कुल बकाया 179 करोड़ रुपये बकाया है।
इसके अलावे, अब तक पेराई सीजन 2007-08 का भी 2,300 करोड़ रुपये इन मिलों पर बकाया है। पेराई सीजन 2007-08 अब खत्म होने को है और इस समय केवल दो मिल बलरामपुर का तुलसीपुर मिल और मेरठ का रामला ही पेराई में लगे हैं। उत्तर प्रदेश में अनुमान है कि 40 लाख गन्ना किसान हैं, जबकि वहां पेराई में लगे चीनी मिलों की कुल जरूरत 8 करोड़ टन गन्ने की है।
मालूम हो कि राज्य के गन्ना किसान चीनी कानून जिसे रेजर्वेशन ऑर्डर के नाम से भी जाना जाता है, के तहत उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त के आदेश से बंधे हैं। इस आदेश के तहत राज्य के गन्ना किसानों को अपनी फसल को तय चीनी मिलों को आपूर्ति करना होता है।
पिछले सीजन में बुरे अनुभव से गुजर चुके किसानों की उदासीनता के चलते इस साल गन्ने के उत्पादन क्षेत्र में 15 से 20 फीसदी तक की कमी होने की उम्मीद है। फिलहाल राज्य में 132 चीनी मिल काम कर रहे हैं जिनमें से 17 को राज्य चीनी निगम संचालित कर रहा है।