ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल ने दो ही दिन में उत्तर प्रदेश के आम निर्यातकों को खासा चूना लगा दिया है। शुक्रवार को हड़ताल भले ही खत्म हो गई, पर दशहरी के निर्यातक ऐन वक्त में हुए नुकसान को जल्दी भूल नहीं सकते हैं।
निर्यातकों के अनुसार दो दिन में ही उन्हें 10 से 12 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। यह नुकसान डिलिवरी सही समय पर न दे पाने की वजह से और आम का उठाव सही समय पर न होने से हुआ है। माल का उठाव न होने से दशहरी की कीमत 20 रुपये से तेजी से घटकर 12 रुपये जबकि खुदरा बाजारों और थोक बाजार में 16 रुपये से घटकर 9 रुपये पर आ गिरी हैं।
आम के सीजन में हुई हड़ताल के चलते प्रदेश के निर्यातकों को खासा नुकसान हो गया है। आम उत्पादक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शिवसरन सिंह के मुताबिक इस समय निर्यात का पीक सीजन था और ऐसे में हड़ताल खासी भारी पड़ गई है। हड़ताल के कुल दो दिन में ही दशहरी की कीमतें अर्श से फर्श पर आ गई हैं। इसके ठीक उलट सब्जियों की कीमतों मे उछाल देखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि निर्यात के ऑर्डर की डिलिवरी का दबाव आम उत्पादकों पर है और ट्रक हड़ताल के चलते निर्यातक नए ऑर्डर लेने से कतराने लगे थे।
आम की बुरी हालत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीते दो दिनों में फल को सड़कर खराब होने से बचाने के लिए मलिहाबाद, काकोरी और सरोजनीनगर के उत्पादकों को अपना माल बेचने के लिए तांगे, हाफ डाला टैंपो और अन्य साधनों से मंडी तक पहुंचाना पड़ा। इस सबके बावजूद आम मलिहाबाद और काकोरी में कौड़ी के भाव पर आ गया। ट्रक की हड़ताल के अलावा नमी के मौसम ने भी आम की फसल को तगड़ा नुकसान पहुंचाया है। समय से पहले मानसून के आ जाने से दशहरी आम ठीक से पक न सका और निर्यातकों की आशाओं पर पानी फिर गया।
सिंगापुर, मलयेशिया और हांगकांग में जरूर मलिहाबादी दशहरी की प्रदर्शनी लगाने के बाद कुछ निर्यातकों को ऑर्डर मिले थे। इसके अलावा दशहरी को दुबई से भी निर्यात ऑर्डर मिले हैं। इस सबके बावजूद इस साल दशहरी उत्पादकों के लिए घरेलू बाजार ही सबसे बड़ा सहारा थे, जहां दो दिन माल न भेज पाने से नुकसान उठाना पड़ा है।