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सेब की आवक पर पैदावार में गिरावट का असर

Last Updated- December 07, 2022 | 7:06 AM IST

हिमाचल प्रदेश की सरकार ने कुछ दिनों पहले सेब के उत्पादन के एक तिहाई कम होने की बात कही थी। पर अब तो उसका यह अंदेशा दिल्ली की मंडियों में साफ तौर पर दिखने लगा है।


आजादपुर मंडी के थोक फल विक्रेताओं ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस बार सेब की शुरुआती आवक पिछले साल से लगभग तीन गुना कम है। मंडी में रोजाना 500 से 600 पेटी लदी दो से तीन गाड़ियां हिमाचल प्रदेश से आ रही हैं।

सेब का थोक व्यापार करने वाली कंपनी गंगा किशन अश्वनी कुमार ट्रेडर्स के बैजनाथ ने कहा कि इस बार सेब की शुरुआती  आवक ही पिछली बार से कम है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में सेब की आवक में बढ़ोतरी हो लेकिन सेब की कुल आवक पिछले साल की तुलना में कम ही रहेगी। इस समय बाजार में सेब की रॉयल, रिचर्ड, रेड गोल्ड, केशरी, गोल्डन और महाराजा किस्में दिखाई दे रही हैं।

संतोष फ्रूट ट्रेडर्स के संतोष ने बताया कि अभी बाजार में आकार और किस्म के आधार पर सेब की 400 से 800 रुपये तक की पेटियां मिल रही है। आने वाले सेब में भी टाइडमैन (छोटे आकार का सेब) सबसे ज्यादा है। वहीं दूसरे थोक विक्रेता अशोक का कहना है कि अभी शुरुआत है। कुछ दिनों बाद मांग बढ़ने पर सेब की आवक भी अपने आप बढ़ जाएगी। वैसे तो मंडी में सेब नैनीताल, शिमला, सोलन, कुल्लू, किन्नौर और कश्मीर से आता है।

लेकिन इस बार अभी हिमाचल से आना शुरू हुआ है। यही नहीं सेब का ऑस्ट्रेलिया और चीन से भी आयात किया जाता है। गौरतलब है कि सेब उत्पादन में भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में से एक है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सेब के उत्पादन में कमी आने का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाला पर्यावरणीय परिवर्तन है। राष्ट्रीय बागवानी परिषद की एक रिपोर्ट के अनुसार सेब का उत्पादन मुख्य तौर पर 6000 से 10000 फीट की ऊंचाई मंक ठंडे मौसम पर किया जाता है।

लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव के कारण इन स्थानों के वातावरण में परिवर्तन होने से  सेब का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। देश में सेब की प्रति व्यक्ति खपत खाद्य एवं कृषि संगठन के हिसाब से मात्र 1.5 किलोग्राम है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिव्यक्ति सेब की खपत के कम होने का कारण इसके खुदरा दामों का आसमान छूना है। बाजार में सेब 50 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा है, जो आम आदमी की जेब से बाहर है।

इस बाबत सेब का विदेश से आयात करने वाले थोक व्यापारी रामचंद्र का कहना है कि फलों में सेब के ऊपर आयात डयूटी सबसे ज्यादा (लगभग पचास फीसदी ) लगती है। इसके कारण घरेलू और विदेश से आने वाले सेब के दाम बहुत ज्यादा होते है। इसके कारण मांग कम उठती है। अभी देश में लगभग 265 हजार वर्ग किलोमीटर में लगभग 1400 टन सेब का उत्पादन होता है। इसमें भी कुल सेब के उत्पादन का 70 फीसदी जम्मू और कश्मीर में होता है। इसके अलावा 27 से 28 फीसदी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पैदा किया जाता है।

सेब का अंकगणित

हिमाचल में सेब का उत्पादन
                लाख टन में
2006            2.5
2007            5.94
2008            4.00*
*(अनुमानित)

सेब का प्रति हेक्टेयर उत्पादन        लाख टन में
जम्मू और कश्मीर                               9.6
हिमाचल प्रदेश                                     3.1
उत्तराखंड                                               2.0
(स्रोत : राष्ट्रीय बागवानी परिषद)

First Published - June 24, 2008 | 11:16 PM IST

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