आगामी खरीफ सत्र में बेहतर मानसून की भविष्यवाणी और इसके कारण बेहतर रिटर्न मिलने से अनुमान लगाया जा रहा है कि तिलहन के उत्पादन क्षेत्र में 15 फीसदी की बढोतरी हो सकती है।
केंद्रीय तेल उद्योग और कारोबार संगठन (सीओओआईटी) के अध्यक्ष दविश जैन के मुताबिक, इस बार की स्थिति तिलहन उपजाने वाले किसानों के पक्ष में जाती दिख रही है। क्योंकि तिलहन ने गन्ना जैसे खरीफ फसल की तुलना में किसानों को 30 फीसदी ज्यादा मुनाफा दिया है।
हालांकि उन्होंने तेल उत्पादक क्षेत्र में होने वाली अनुमानित वृद्धि का ब्यौरा देने से इंकार कर दिया। उनके मुताबिक, उत्पादन क्षेत्र में होने वाली यह बढाेतरी मानसून और तिलहन से होने वाले किसानों के फादे पर निर्भर करेगी। पिछले खरीफ सत्र के दौरान तिलहन के उत्पादन क्षेत्र में 6 फीसदी की बढाेतरी हुई और यह 1.7 करोड हेक्टेयर से बढ़कर 1.8 करोड़ हेक्टेयर हो गया।
सीओओआईटी के ताजा अनुमान के अनुसार, पिछले रबी सत्र(सितंबर और उसके बाद) में तिलहन उत्पादन क्षेत्र में 5 फीसदी की कमी हुई है। ऐसा इसलिए कि कई किसानों ने तिलहन उपजाना छोड़ कपास की ओर रुख कर लिया, जिससे उन्हें 17 फीसदी ज्यादा मुनाफा मिला। 2007-08 के रबी सीजन की बात करें तो तिलहन के पैदावार क्षेत्र में काफी कमी हुई है।
पिछले सीजन में जहां 1.03 करोड़ हेक्टेयर में तिलहन पैदा किया गया था वहीं बीते सीजन में यह घटकर 97.14 लाख हेक्टेयर रह गया। फिर भी, यह हैदराबाद स्थित तिलहन विकास निदेशालय के 90.94 लाख हेक्टेयर के सामान्य अनुमान से 9 फीसदी ज्यादा रहा। इस साल तिलहन का उत्पादन क्षेत्र अनुमान से ज्यादा रहा, जाहिर है तेल के पेराई अनुमान में भी वृद्धि होगी।
2006 केखरीफ सीजन में 95.9 लाख टन तिलहन की हुई पेराई की तुलना में 2007 में 1.23 करोड़ टन की पेराई हुई। इस तरह, तिलहन की पेराई में पिछले साल के खरीफ सीजन में 29 फीसदी की वृद्धि हुई। हालांकि, अभी खत्म हुए रबी सीजन में तिलहन की उपलब्धता में 14 फीसदी की कमी आयी है।
पिछले साल रबी सीजन में जहां 84.6 लाख टन तिलहन उपलब्ध हुआ था, वहीं इस साल महज 74.8 लाख टन तिलहन ही उपलब्ध हो पाया। मौजूदा सीजन में काफी अच्छी संख्या में किसानों के तिलहन उपजाने से जुड़ने से स्थिति खुशहाल दिख रही है।