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निर्यात मांग ने लगाई जीरे में ‘छौंक’

Last Updated- December 07, 2022 | 6:02 AM IST

जीरे की निर्यात मांग में अचानक तेजी से आए उछाल की वजह से जीरा बाजार में तेजी का रुख चल रहा है।


कारोबारियों और कमोडिटी विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में बाजार में मजबूती का रुख रहेगा। नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में मंगलवार को जीरे की कीमतें पिछले आठ कारोबारी सत्रों में 10 फीसदी तक तेज हो गईं।

जुलाई अनुबंध के लिए जीरे की कीमतें चढ़कर 12,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गईं। एग्रीवॉच कमोडिटीज की विश्लेषक सुधा आचार्य का कहना है कि यदि जीरे की प्रतिस्पर्द्धी कीमतों की बात करें तो इस लिहाज से फिलहाल भारत सबसे मुफीद जगह है। पश्चिम एशिया और यूरोप से जीरे की मांग भारत की ओर आ रही है। इसके अलावा बांग्लादेश और सिंगापुर को भी यहां से माल भेजा जा रहा है।

बाजार सूत्रों के मुताबिक इस सीजन में 25 से 28 लाख बैग(प्रत्येक बैग 55 किलोग्राम का) जीरे के उत्पादन होने का अनुमान है। दूसरी ओर कमोडिटी विशेषज्ञों का अनुमान इस सीजन में 30 लाख जीरा बैग के उत्पादन का है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष जीरे का लगभग 18 लाख से 20 लाख बैग के उत्पादन होने का अनुमान है।

कोटक कमोडिटीज के विश्लेषक फैयाज हुदानी का कहना है कि पिछले हफ्ते रोजाना 7,000  से 8,000 बैग जीरे की आवक हो रही थी जो अब बढ़कर 15,000 से 17,000 बैग प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है। जबकि बिक्री, आवक को पार करके 24,000 बैग प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है। उनका कहना है कि इस वजह से कीमतों में तेजी का रुख है जो आने वाले कुछ दिनों में जारी रह सकता है।

वैसे इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजारों के मुकाबले भारत में जीरे की कीमतें काफी कम हैं। दरअसल सीरिया और तुर्की जैसे बड़े जीरा उत्पादक देशों में जीरे की बजाय पोस्ता की अधिक बुवाई ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीरे की आपूर्ति तंग कर दी है। एक ओर जहां अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीरे की कीमतें 3,000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं जबकि भारत में जीरे की कीमतें लगभग 2,700 डॉलर प्रति टन के आसपास बनी हुई हैं।

कमोडिटी विश्लेषकों के मुताबिक जुलाई अनुबंध के लिए जीरे की कीमतों में 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी आई। उनका कहना है कि सितंबर अनुबंध (इसमें सबसे ज्यादा कारोबारियों ने भाग लिया) के लिए जीरे की कीमतें 13,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गईं।

जीरे की सबसे बड़ी मंडी ऊंझा के एक कारोबारी दिलीप पटेल का कहना है कि निर्यात मांग बहुत तेज है जिसकी वजह से कीमतें अभी और चढ़ सकती हैं। उनका यह भी कहना है कि हेजर्स और स्टॉकिस्ट भी बाजार में दाखिल हो चुके हैं। पटेल के मुताबिक कुल फसल का 35 फीसदी हिस्सा अभी भी किसानों के पास ही है।

पटेल का मानना है कि देश में इस समय 3 से 4 लाख बैग जीरे के भंडार का अनुमान है। विश्लेष्कों का कहना है कि निर्यात मांग ही बाजार का रुख तय करेगी। उनका मानना है कि बाजार में तभी तक मजबूती बनी रहेगी जब तक निर्यात की मांग तेज बनी रहेगी।

First Published - June 17, 2008 | 11:39 PM IST

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