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रत्न और आभूषणों का निर्यात घटा

Last Updated- December 08, 2022 | 9:47 AM IST

अमेरिका की मांग में भारी कमी के कारण भारत से रत्न एवं आभूषणों के निर्यात में कम से कम अगले छह महीने तक 30 प्रतिशत की गिरावट बने रहने की आशंका है।


जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष वसंत मेहता ने कहा, ‘नवंबर में भारत का कुल निर्यात 34.25 प्रतिशत घट कर 9,871.0 लाख डॉलर का रहा जबकि अक्टूबर में निर्यात में 16.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। इससे परिस्थितियों के बदतर होने का संकेत मिलता है।

भारत के आभूषण निर्यात में अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी लगभग 75 प्रतिशत की है। आर्थिक मंदी के कारण ऑर्डर में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। अगर यही चलन बना रहा तो आभूषणों के निर्यात में वर्तमान दरों से ही गिरावट का दौर जारी रहेगा।’

वर्तमान मंदी के दौर में विनिर्माण स्तर पर ऑर्डर में कमी आना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। इस साल नवंबर में विनिर्माण ऑर्डर में 20.18 प्रतिशत की कमी देखी गई। मेहता का आकलन है कि अप्रैल से अक्टूबर 2008 के दौरान ऑर्डर में औसत 20 प्रतिशत की कमी आई है।

इसके परिणामस्वरूप, जबसे आर्थिक मंदी का प्रभाव सामने आया है तब से 65,000 कर्मचारियों की छंटनी की जा चुकी है। मेहता ने कहा कि अगर घरेलू या अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिलने वाले ऑर्डर में सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में और अधिक छंटनी की जा सकती है।

एक आकलन के मुताबिक, रत्न एवं आभूषण उद्योग की 75,000 करोड़ रुपये की आय में घरेलू बाजार की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत की है।

आम तौर पर तीसरी तिमाही में भारत में लगभग 45 प्रतिशत ऑर्डर को मूर्तरूप दिया जाता है क्योंकि इस अवधि में क्रिसमस और नए साल के कारण पश्चिमी देशों से आभूषणों की जबरदस्त मांग होती है। लेकिन इस साल तीन महीने की यह अवधि सुस्त रही।

समूचे रत्न एवं आभूषण क्षेत्र पर आर्थिक मंदी के असर का विश्लेषण करते हुए मेहता ने अनुमान लगाया कि अधिकांश प्रसंस्करण इकाइयां दो महीने की लंबी छुट्टी के बाद जनवरी के पहले सप्ताह में अपना परिचालन शुरू करेंगी।

जीजेईपीसी ने वाणिज्य मंत्रालय से इस बारे में बातचीत की और गुजारिश की कि सोने की आपूर्ति आसान बनाई जाए।

इसके लिए बड़े निर्यातकों को सीधे आयात करने की अनुमति दी जाए ताकि दूर दराज के इलाकों में भी इसका खुदरा वितरण सुगमता से किया जा सके। मेहता ने कहा, ‘सोने की नुपलब्धता दूर दराज के भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक मुद्दा रहा है और इससे उद्योग की कुल बिक्री प्रभावित होती रही है।

इसके अतिरिक्त, देश के लगभग तीन-चार केंद्रों पर सरकार द्वारा नामित एजेंसियां खुदरा विक्रेताओं की मांग पूरी करने में असफल रही हैं। अगर इस तरह कह खामियों को दूर कर दिया जाए तो सोने के आभूषणों की बिक्री में कम से कम 23 प्रतिशत का इजाफा हो सकता है।’

डॉलर की अपर्याप्त फाइनेंशिंग, जो कुल कार्यशील पूंजी का लगभग 50 फीसदी होता है, इस क्षेत्र के लिए प्रमुख बाधा रही है।

First Published - December 17, 2008 | 10:46 PM IST

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