सोयाबीन किसानों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है, ताकि स्वदेशी तिलहन उत्पादकों जिन में खासकर सोयाबीन के हितों को बचाया जा सके। वर्तमान में क्रूड पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल पर 5.5 फीसदी और रिफाइंड तेल पर 13.75 फीसदी शुल्क लागू है। तिलहन के दाम सुधारने के लिए सरकार आयात शुल्क बढ़ा सकती है।
केंद्र सरकार महाराष्ट्र में सोयाबीन उत्पादक किसानों को अच्छे दाम दिलाने के लिए आयात शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रही है क्योंकि इस वर्ष महाराष्ट्र में चुनाव है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्याज उत्पादक किसानों ने दाम अच्छे ना मिलने से सरकार के खिलाफ मतदान किया था इसलिए इस बार सोयाबीन उत्पादक किसान खफा ना हो और मध्य प्रदेश जो की बड़े पैमाने पर सोयाबीन का उत्पादन करता है और कृषि मंत्री स्वयं मध्य प्रदेश के हैं इसलिए उनके ऊपर भी मध्य प्रदेश के किसानों का दबाव है दूसरी तरफ कुछ संगठनों ने भी आयात शुल्क बड़ा ने की मांग की है। इसलिए दबाव में आकर सरकार निर्णय ले सकती है।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है कि सरकार को सिर्फ किसानों को मद्दे नजर रखते हुए ही निर्णय नहीं लेना चाहिए आम जनता जो पिछले कुछ महीनों से महंगाई की मार झेल रही है उस पर भी विचार कर निर्णय लेना चाहिए।
खरीफ कालीन तिलहन फसलों और खासकर सोयाबीन तथा मूंगफली के नए माल की आवक सितंबर से शुरू होने वाली है जबकि अक्टूबर से रबी सीजन की तिलहन फसलों और विशेषकर सरसों की बिजाई शुरू हो जाएगी। बीते दिन से इंडोनेशिया में पाम तेल के दाम बढ़ने से सोयाबीन में वैसे भी सुधार हो रहा है। हालांकि बढ़ते दामों पर भी बाजार में बिकवाल कमजोर है। गुरुवार को मुंबई में मूंगफली तेल 1550-60 , सोया रिफाइंड 970 – 980, मुंबई पाम तेल 955 – 965, सूरजमुखी रिफाइंड तेल 975 – 985 प्रति 10 किलोग्राम आसपास पर बिक रहा है।
खाद्य तेल कारोबारियों का कहना है कि सोयाबीन किसान भी सोयाबीन के घटते दाम से नाराज है। सीमा शुल्क में बढ़ोत्तरी नहीं होती है तब तक तिलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना मुश्किल है।अब केन्द्र सरकार द्वारा शीघ्र ही 6800 करोड़ रुपए वाले राष्ट्रीय तिलहन मिशन की घोषणा किए जाने की भी उम्मीद है। ऐसे में स्थानीय उपज के अच्छे दाम के लिए सरकार आयात शुल्क बढ़ा सकती है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने का सुझाव दिया है। स्वदेशी तिलहन उत्पादकों के हितों की रक्षा को इसका कारण बताया गया है। दलील दी जा रही है कि इससे किसानों को अपने उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्राप्त हो सकेगा और स्वदेशी तेल उद्योग से भी दबाव हटेगा। वर्तमान समय में क्रूड पाम तेल, सोयाबीन तेल तथा क्रूड सूरजमुखी तेल पर 5.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू है जिसमें सेस भी शामिल है। इसी तरह रिफाइंड खाद्य तेल पर 13.75 प्रतिशत का सीमा शुल्क प्रभावी है।