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आयात शुल्क में कटौती से किसानों को झटका

Last Updated- December 05, 2022 | 6:59 PM IST

सरकार द्वारा कच्चे वनस्पति तेल व रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्क में कटौती के बाद तेल मिल मालिक तिलहन के मूल्यों में कमी की उम्मीद जता रहे हैं।


उनका कहना है कि किसान इस साल कम कीमत पर तिहलन की बिक्री करेंगे। खाद्य तेलों की सबसे बड़ी रिफाइनरी मिल रुचि सोया इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक दिनेश शहरा के मुताबिक सरकार के इस फैसले के बाद किसानों को सोयाबीन की कीमत में कटौती करनी पड़ेगी।


यह कटौती 4 रुपये प्रतिकिलो तक हो सकती है। अन्य तिलहन की फसल उगाने वाले किसान कुछ दिनों के लिए विश्व बाजार का रुख देखेंगे फिर तिलहन की कीमत तय करेंगे। सॉलवेन्ट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक वीबी मेहता ने कहा कि जब खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आती है तब तिलहन की कीमतों में भी गिरावट हो जाती है।


लिहाजा इस बार तेल के भाव में तेजी के कारण तिलहन के दाम भी तेज रह सकते है लेकिन अब इनके दामों में कुछ गिरावट आ सकती है।फिलहाल सोयाबीन की बिक्री 21 रुपये प्रतिकिलो हो रही है तो मूंगफली 27.50 रुपये प्रतिकिलों की दर से बिक रही है। सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन के संयोजक राजेश अग्रवाल ने बताया कि सरकार के इस फैसले से खाद्य तेलों मिलों को नुकसान होने की पूरी आशंका है।


उनके मुताबिक तेल मिलों ने अपने उत्पादन के लिए ऊंची कीमतों पर तिलहन की खरीदारी की थी। अब उन्हें बाजार में अपने उत्पादन को पहले के मुकाबले काफी कम कीमत पर बिक्री करनी पड़ेगी। साथ ही अब कच्चे माल यानी कि तिलहन की कीमत में भी कम से कम 25 फीसदी की गिरावट होने की उम्मीद है, ऐसे में उन्हें घाटा होना स्वाभाविक है।


अग्रवाल का  कहना है कि सोयाबीन तेल मिल मालिकों को होने वाले नफा या नुकसान की वास्तविक स्थिति का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन इतना तय है कि आयात शुल्क में कटौती के फैसले से अधिकतर मिलों को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। नुकसान उठाने का दूसरा कारण यह है कि इन दिनों विश्व बाजार में तेल के दामों गिरावट का रुख देखा जा रहा है।


शहरा का कहना है कि खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती का फैसला सरकार ने बहुत जल्दीबाजी में किया है। क्योंकि इस फैसले से किसान बुरी तरह प्रभावित होंगे। तेल उद्योग को उम्मीद है कि सोयाबीन तेल के उत्पादन में इस साल 20 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। क्योंकि इस साल इसकी पैदावार काफी अच्छी बतायी जा रही है।


सोयाबीन की खेती के इतिहास में ऐसा पहली बार था कि किसान इसकी कीमत में बढ़ोतरी को लेकर काफी उत्साहित थे और वे इस लाभदायी फसल को अगले मौसम में भी उगाने की सोच रहे थे।किसान के इस उत्साह को देखते हुए अगले मौसम के लिए सोयाबीन की पैदावार बढ़कर 1 करोड़ 15 लाख टन होने की उम्मीद जतायी जा रही थी। इस मौसम में सोयाबीन का उत्पादन 94 लाख टन हुआ है।


जबकि गत साल सोयाबीन का कुल उत्पादन 79 लाख टन के स्तर पर था। शहरा के मुताबिक आयात शुल्क में कटौती के फैसले से किसानों को भारी झटका लगा है। भारत 55 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करता है। और इनमें से 11 लाख टन सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी होती है। घरेलू बाजारे में सोयाबीन तेल की खपत 16 लाख टन बतायी जाती है।


इधर आयात शुल्क में कटौती के फैसले के तुरंत बाद खाद्य तेलों के उत्पादकों ने कीमत में प्रतिकिलो 10 रुपये तक की गिरावट कर दी है। हालांकि रुचि सोया इंडस्ट्रीज अभी तिलहन की खरीद पर होने वाले असर को देखना चाहती है। उसके बाद ही तेल के दाम में कटौती की घोषणा की जाएगी। सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों के आयात को कर मुक्त कर दिया है तो रिफाइंड खाद्य तेलों के आयात पर मात्र 7.5 फीसदी शुल्क लगाने का फैसला किया है।


इस फैसले से तिलहन के आपूर्तिकर्ताओं को तत्काल रूप से तिलहन की कीमत में 4 रुपये प्रतिकिलो की गिरावट करनी पड़ेगी। उधर भारत सरकार के इस फैसले से विश्व वनस्पति बाजार पर कोई खास असर नहीं हुआ है। और विश्व बाजार में खाद्य तेलों में गिरावट का रुख जारी है। मलेशिया के बाजार में सोया तेल की कीमतों में 280 रिंगिट की गिरावट देखी गई।


यूएसडीए की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अमेरिका में सोयाबीन के बंपर उत्पादन की आशा है और इस कारण से भी सोयाबीन तेल की कीमतों में मजबूती नहीं आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अमेरिका में सोयाबीन का उत्पादन 7 करोड़ 48 लाख टन होने का अनुमान है। गत साल यह उत्पादन 6 करोड़ 30 लाख टन के  स्तर पर था।

First Published - April 2, 2008 | 11:40 PM IST

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