भारतीय खाद्य निगम इस साल मध्य और उत्तर भारत से 1.55 करोड़ मीट्रिक टन गेहूं खरीदने की योजना बना रहा है।
इसमें भी 1000 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य से 20 लाख मीट्रिक टन गेहूं केवल उत्तर प्रदेश से खरीदा जाएगा। निगम पहले ही 1.2 करोड़ मीट्रिक टन चावल की खरीद कर चुका है और 60 लाख मीट्रिक टन चावल और खरीदने की सोच रहा है।
निगम के अध्यक्ष आलोक सिन्हा ने बताया कि गेहूं खरीद के लिए निगम ने राज्य में 978 खरीद केंद्र स्थापित किए हैं जहां 15 मार्च से गेहूं खरीदने का काम जारी है। इस साल गेहूं खरीद के लक्ष्य को जल्द पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 4200 खरीद केंद्र स्थापित करने हैं।
उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल तक निगम ने राज्य में 5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है और इस साल गेहूं खरीद का लक्ष्य 1.55 करोड़ मीट्रिक टन का है जो पिछले साल से 44 लाख मीट्रिक टन अधिक है।
प्रदेश में गेहूं उत्पादन की समीक्षा करने के बाद आगरा में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए आलोक सिन्हा ने बताया कि इसमें उत्तर प्रदेश और पंजाब का योगदान 85 लाख मीट्रिक टन गेहूं , हरियाणा का 40 लाख मीट्रिक टन, राजस्थान और मध्य प्रदेश का 5 लाख मीट्रिक टन और उत्तराखंड का 1 लाख मीट्रिक टन योगदान रहेगा। यदि गेहूं खरीद का तय लक्ष्य पूरा नहीं होता है तो निगम बल्क मार्केट से 2.5 फीसदी कमीशन पर गेहूं खरीदेगा।
केंद्र सरकार इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोनस देगी। और जो किसान सीधे अपने उत्पाद निगम को बेचेंगे उनको 10 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें गिरी हैं जो अब 340 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के स्तर पर आ गई हैं जबकि पिछले साल जब भारत ने गेहूं आयात किया था तब यही कीमतें 400 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के स्तर पर थीं। देश में गेहूं की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए प्राइवेट कंपनियों द्वारा खरीद पर नजर रखी जानी चाहिए।