facebookmetapixel
रेट कट का असर! बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट शेयरों में ताबड़तोड़ खरीदारीTest Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासा

कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स हटाने की योजना बना रहा वित्त मंत्रालय, 2022 में मोदी सरकार ने इसे क्यों किया था लागू?

Rabobank International के एनालिस्ट्स के अनुसार, 2025 तक बाजार में प्रतिदिन लगभग 700,000 बैरल (बीपीडी) की अतिरिक्त सप्लाई होने का अनुमान है।

Last Updated- October 23, 2024 | 4:49 PM IST
Government removed windfall tax, good days returned for oil companies! RIL shares soared सरकार ने हटाया विंडफॉल टैक्स, ऑयल कंपनियों के लौटे अच्छे दिन! RIL के शेयरों ने भरा फर्राटा

Windfall tax on local crude oil output: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार तरुण कपूर ने आज यानी बुधवार को बताया कि वित्त मंत्रालय स्थानीय कच्चे तेल के उत्पादन पर लगे विंडफॉल टैक्स को समाप्त करने पर फैसला करेगा। कच्चे तेल पर यह टैक्स 2022 में उच्च कीमतों के दौरान अत्यधिक मुनाफे को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था।

कपूर ने कहा कि चूंकि वैश्विक तेल की कीमतों में अब काफी गिरावट आई है, इसलिए यह टैक्स अब जरूरी नहीं रह गया है। उन्होंने कहा, ‘वित्त मंत्रालय इस पर विचार करेगा… मुझे लगता है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने उन्हें पहले ही पत्र लिखा है।’

कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स क्या है, और इसे क्यों लागू किया गया था?

केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2022 को वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के जवाब में देश में उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स लागू किया। यह कदम उन तेल रिफाइनरों के ‘अत्यधिक मुनाफे’ को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया था, जो घरेलू आपूर्ति की कीमत पर ईंधन का निर्यात कर रहे थे। इसके साथ ही पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन जैसे रिफाइंड प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त टैक्स भी लगाया गया था।

17 सितंबर को केंद्र ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को शून्य कर दिया, जो कि एक पखवाड़े की समीक्षा (fortnightly review) के बाद लागू किया गया। यह टैक्स विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (SAED) के रूप में लगाया गया था, जिसे हर दो सप्ताह बाद औसत तेल कीमतों के आधार पर एडजस्ट किया जाता है। पेट्रोल, डीजल और विमानन टर्बाइन ईंधन (ATF) पर भी यह टैक्स 18 सितंबर से शून्य रखा गया है।

तेल की कीमतों में नरमी क्यों आ रही है?

तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीदें चीन और अमेरिका में कमजोर मांग की वजह से हैं। साथ ही यह धारणा भी है कि पश्चिम एशिया में तनाव सीमित रह सकते हैं। जेपी मॉर्गन के अनुसार, 2025 के अंत तक कच्चे तेल की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिर सकती हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण शुरुआत में ब्रेंट क्रूड की कीमत 139.13 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, जो 2008 के बाद से सबसे अधिक थी। हाल के महीनों में पश्चिम एशिया में तनाव, खासकर इजरायल और अन्य देशों से जुड़े मुद्दों ने अक्टूबर की शुरुआत में तेल की कीमतों को 81 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचा दिया, जो सितंबर के अंत में 71 डॉलर प्रति बैरल थी।

रैबोबैंक इंटरनेशनल (Rabobank International) के एनालिस्ट्स के अनुसार, 2025 तक बाजार में प्रतिदिन लगभग 700,000 बैरल (बीपीडी) की अतिरिक्त सप्लाई होने का अनुमान है।

First Published - October 23, 2024 | 4:49 PM IST

संबंधित पोस्ट