जिंस वायदा बाजार के नियंत्रक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने कहा है कि सरकार ने जिन चार जिंसों के कारोबार पर रोक लगाई है, उससे महंगाई रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी।
आयोग का कहना है कि इस कदम इतना जरूर है कि कमोडिटी एक्सचेंजों के कारोबार पर जरूर असर पड़ेगा। गौरतलब है कि सरकार ने बुधवार देर रात चार जिंसों के वायदा कारोबार पर चार महीने के रोक लगा दी । इन जिंसों में आलू, चना, रबर और सोया ऑयल शामिल हैं।
वायदा बाजार आयोग के अध्यक्ष बी सी खटुआ ने कहा है कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने चार जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है जबकि इस बात के ठोस सबूत नहीं मिले हैं कि वायदा बाजार की वजह से कीमतें बढ़ी हैं। उनका कहना है कि महंगाई दर और वायदा कारोबार में कोई भी सीधा संबंध नहीं है।
खटुआ का कहना है कि इससे नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) का कारोबार 60 फीसदी तक कम हो जाएगा। उनका कहना है कि इंदौर का नैशनल बोर्ड ऑफ ट्रेड (एनबीओटी) इससे बहुत प्रभावित होगा क्योंकि यहां पर केवल सोया ऑयल का ही वायदा कारोबार होता है, इस पर प्रतिबंध लगाने से इसकी जाहिर है यहां कारोबार ही बंद हो जाएगा।
हालांकि खटुआ का मानना है कि सरकार ने इन जिंसों के वायदा कारोबार पर जो 4 महीने का प्रतिबंध लगाया है, वो निर्धारित समय के बाद खत्म कर दिया जाएगा। उनको उम्मीद है कि इन जिंसों का वायदा कारोबार फिर से शुरू हो जाएगा।
चार और जिंसों के वायदा कारोबार पर रोक लगाने से प्रतिबंधित जिंसो की संख्या 8 हो गई है। इससे पहले सरकार गेहूं, चावल, उड़द और तुअर के वायदा कारोबार पर रोक लगा चुकी है। हालांकि खटुआ निवेशकों को आश्वस्त करते हैं कि जल्द ही इन आठों जिंसों का वायदा कारोबार फिर से शुरू हो जाएगा।
दूसरी ओर सोयाबीन प्रोसेसर्स असोसिएशन के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल का कहना है कि महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार का यह कदम सही नहीं है। उन्होंने कहा कि खाद्य तेल की कीमतें मांग और आपूर्ति के आधार पर तय होती हैं।