वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) जल्द ही राष्ट्रीय व क्षेत्रीय जिंस एक्सचेंजों के लिए नीति निर्धारण करने जा रहा है।
इस नीति के तहत इन एक्सचेंजों को लाभ कमाने वाली कंपनी में बदलना होगा। और इस बात का भी निर्धारित करना पड़ेगा कि किस व्यक्ति का इसमें कितना शेयर है।एफएमसी ने इस प्रकार के दिशा निर्देशों को तय करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
सर्टिफाइड इमीशन रिडक् शन (सीईआर) की शुरुआती मौके पर आयोग के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने बताया कि इस संबंध के दिशा निर्देश जल्द ही तैयार हो जाएंगे।
गुरुवार को एनसीडीईएक्स की तरफ से मुंबई में सीईआर को आरंभ किया गया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस प्रकार से कंपनी को बदलने की बात खास कर क्षेत्रीय एक्सचेंज के मामले में काफी विवादस्पद रही है। इस मसले को लेकर नेशनल बोर्ड ऑफ ट्रेड (एनबीओटी) के स्तर पर सोयाबीन प्रोसेसर एसोसिएशन (सोपा) ने सवाल खड़ा किया था। एफएमसी इस तमाम मसले की जांच कर रही है।
खटुआ ने इस बात को साफ किया कि एक्सचेंज का पंजीकरण एफएमसी की परिधि में नहीं आता है लेकिन एफएमसी अन्य प्रकार की चीजों, जिनमें व्यापार करने की तकनीक, हिस्सेदारी के तरीके व कहां-कहां उसका विकास हो सकता है, पर विचार कर रही है। एफएमसी इस प्रकार के एक्सचेंजों को नियंत्रित करने का काम करती है।
एक्सचेंजों को कंपनी में बदलने वाले निर्देशों से क्षेत्रीय एक्सचेंजों की हैसियत राष्ट्रीय स्तर की नहीं होगी लेकिन इससे एक फर्क जरूर पड़ेगा कि क्षेत्रीय एक्सचेंजों को एक तय दिशा निर्देशों के मुताबिक व्यापार करना होगा। राष्ट्रीय स्तर की हैसियत पाने के लिए उन्हें एक ट्रांसफर फार्म लेना होगा जिसके तहत ओपन आउटक्राइ से ऑनलाइन ट्रेडिंग में जाने की बात होती है।
अगर वे एक साथ आकर एक राष्ट्रीय स्तर का व्यापार प्लेटफार्म तैयार करते हैं तो नियामक उनके प्रस्तावों पर विचार कर सकता है। इस बारे में खटुआ ने कहा कि उनकी निजी राय के मुताबिक सभी क्षेत्रीय जिंस एक्सचेंज के लिए एक समान बंदोबस्त एजेंट की व्यवस्थी होनी चाहिए। एफएमसी की वेबसाइट के मुताबिक नियामक के तहत 19 क्षेत्रीय तो तीन राष्ट्रीय स्तर के जिंस एक्सचेंज सूचीबध्द है।
राष्ट्रीय स्तर के चौथे एक्सचेंज का प्रस्ताव नियामक के पास विचाराधीन है। इस एक्सचेंज को इंडियनबुल्स व एमएमटीसी का समर्थन मिल रहा है। हालांकि खटुआ ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि विचाराधीन प्रस्ताव की स्थिति क्या है। क्षेत्रीय स्तर के जिंस एक्सचेंजों की भूमिका राष्ट्रीय स्तर के एक्सचेंजों के मामले में बहुत ही कम होती है और उनकी मांगों को नियामक बहुत गंभीरता से नहीं लेता है।
निवेशक भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेते हैं। हालांकि क्षेत्रीय स्तर के एक्सचेंजों ने एफएमसी से मांग की है कि उन्हें भी ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा दी जाए और इसके लिए उन्हें तकनीकी से लैस होने में मदद दी जाए। इस मामले में एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ पी.एच. रविकुमार का कहना है कि इस प्रकार से क्षेत्रीय एक्सचेंजों के आगे आने जिंसों के कारोबार में प्रतिस्पर्धा होगी।