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10 साल में खाद्यान्न कीमतें बढ़ सकती हैं 30-35 प्रतिशत

Last Updated- December 10, 2022 | 1:32 AM IST

संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख एजेंसी यूएनईपी ने आगाह किया है कि खाद्यान्न उत्पादन एवं प्रसंस्करण प्रणाली में बदलाव नहीं किए गए तो आगामी दस वर्षों में खाद्यान्न की कीमतों में 30 से 35 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि आगामी दस वर्षों में खाद्यान्न की कीमतों में आई बढ़ोतरी से गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को अपनी आय का 90 फीसदी खानपान का समान जुटाने में खर्च करना पड़ सकता है।
यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक अशिम स्टैनर ने कहा, ‘हमें हरी-भरी अर्थव्यवस्था में हरित क्रांति की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें खाद्यान्न उत्पादन के अलावा इसके वितरण, बिक्री एवं उपभोग के तौर तरीकों से भी निपटना होगा।
हमें ऐसी क्रांति की जरूरत है जो उत्पादन को बढ़ा सके।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में मानव प्रबंधित आहार श्रृंखला में अकुलशता से पैदावार का आधा हिस्सा नष्ट हो जाता है या फेंक दिया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के मोटे अनाज का एक-तिहाई से अधिक भाग पशु आहार में इस्तेमाल किया जा रहा है और वर्ष 2050 तक इसका अनुपात बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा। यूएनईपी की रपट में दिए गए विभिन्न उपायों में कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खाद्यान्न बाजार का पुनर्गठन करने आदि की बात कही गई है।

First Published - February 18, 2009 | 10:59 PM IST

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