चार जिंसों के वायदा कारोबार प्रतिबंध से जिंस बाजार नए सिरे से कारोबार के बारे सोचने लगा है।
जिंसों के वायदा कारोबार को लेकर कारोबारी अब नयी नीति अपनाने पर विचार कर रहे है। सरकार ने चना, सोया तेल, आलू व रबर के वायदा कारोबार पर चार महीने की रोक लगा दी है।
वायदा कारोबार से जुड़े देश के प्रमुख एक्सचेंज अपने व्यापार में होने वाली गिरावट की भरपाई व निवेशकों के हित को ध्यान में रखते हुए विकल्प की तलाश में लग गए है। अब वे उन जिंसों के वायदा कारोबार पर जोर देने की सोच रहे हैं जो या तो गैर कृषि है या फिर कम विवादित जिंस है। आने वाले समय में वे ऊर्जा, धातु व सोने व चांदी के वायदा कारोबार पर अधिक जोर देने की नीति बना रहे है।
एनसीडीईएक्स कृषि से जुड़ी जिंसों के वायदा कारोबार से जुड़ी अनिश्चितिता को देखते हुए कई विकल्पों की तलाश में जुट गया है। एनसीडीईएक्स का रोजाना के कारोबार का 85 फीसदी हिस्सा कृषि से जुड़ी जिंसों के जरिए होता है। वे अपने एक्सचेंज में गैर कृषि जिंसों को जोड़ने की तैयारी कर रहे है। एनसीडीईएक्स के अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अब वे गैर कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर ज्यादा जोर देना चाहेंगे।
कृषि से जुड़े जिंसों में वे उन्हीं जिंसों को शामिल करना चाहेंगे जो आवश्यक वस्तु की परिधि में नहीं आता है या फिर कम विवादित है। एमसीएक्स के एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि महंगाई पर अंकुश लगाने को लेकर सरकार के कदम को देखते हुए एक्सचेंज आने वाले समय में धातु व सोने व चांदी जैसी चीजों के कारोबार पर विशेष ध्यान देगा। हालांकि एमसीएक्स के रोजाना के कारोबार में कृषि से जुड़ी आवश्यक जिंसों का खास योगदान नहीं है।
सोया तेल, चना, रबर व आलू के वायदा पर प्रतिबंध से एक्सचेंज के रोजाना के कारोबार में 10 से 25 फीसदी की गिरावट आ सकती है। एनसीडीईएक्स का रोजाना का कारोबार 2,000 करोड़ रुपये का है। इस पाबंदी से इसके कारोबार में 20-25 फीसदी की गिरावट आ जाएगी।
जबकि एमसीएक्स के कुल कारोबार में 10 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स व एनएमसीई के कुल कारोबार में रोजाना 1000 से 1200 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है। इन तीनों एक्सचेंजों में सोया तेल का कारोबार 400 करोड़ रुपये का तो चने का कारोबार 500 करोड़ रुपये का।