नई आवक के बाद लहसुन के भाव नरम पड़ने लगे हैं। लेकिन इस नरमी के बावजूद लहसुन काफी महंगा बिक रहा है। पिछले साल इन दिनों की तुलना में लहसुन के थोक भाव 4 गुना तक ज्यादा है। इसकी वजह इस साल भी लहसुन के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है। जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में लहसुन की आवक बढ़ने पर दाम और घट सकते हैं।
मंडियों में नए लहसुन की आवक शुरू हो गई। जिसका असर इसकी थोक कीमतों पर भी दिख रहा है। इस महीने लहसुन के सबसे बडे उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश की अहम मंडी मंदसौर में लहसुन की मॉडल थोक कीमत (इस भाव पर अधिकतर बिक्री होती है) 280 रुपये किलो थी, जो अब घटकर 170 रुपये किलो रह गई।
लहसुन के अधिकतम थोक भाव 380 रुपये से घटकर 195 रुपये किलो रह गए हैं। जनवरी महीने में लहसुन की थोक कीमतों में इजाफा हुआ था। एक जनवरी से 31 जनवरी के बीच लहसुन के मॉडल थोक भाव 180 रुपये से बढ़कर 260 रुपये और अधिकतम भाव 250 रुपये से बढ़कर 360 रुपये किलो हो गए थे।
भले ही मंडियों में नई आवक के बाद लहसुन के दाम भले ही नरम पड़ गए हों, लेकिन अभी यह काफी महंगा बिक रहा है। पिछले साल इस समय लहसुन के मॉडल थोक भाव 45 रुपये और अधिकतम 70 रुपये किलो थे, जबकि इस साल समय ये भाव क्रमश: 170 रुपये और 280 रुपये किलो हैं।
जाहिर है कि मंडियों में इस साल पिछले साल की तुलना में लहसुन की मॉडल कीमत 4 गुना तक अधिक है। मध्य प्रदेश के लहसुन किसान सुनील पाटीदार कहते हैं कि इस समय किसानों को देसी लहसुन के 120 से 150 रुपये किलो दाम मिल रहे हैं।
बीज व बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले लहसुन के दाम 250 रुपये किलो से अधिक मिल रहे हैं। लेकिन इस लहसुन की मात्रा काफी कम है। पिछले साल नये देसी लहसुन के इस समय भाव 40 से 50 रुपये किलो थे।
उन्होंने कहा कि आगे आवक बढ़ने पर लहसुन के दाम घटकर 100 रुपये किलो तक आ सकते हैं। इससे नीचे भाव आने की संभावना कम है क्योंकि इस साल पैदावार कम हैं।
दिल्ली की आजादपुर मंडी के लहसुन कारोबारी नवनीत सिंह कहते हैं कि पैदावार में कमी के कारण नई आवक के समय भी लहसुन काफी महंगा हैं। हालांकि अगले महीने तक इसके भाव में गिरावट आ सकती हैं।
पाटीदार कहते हैं कि इस साल प्रतिकूल मौसम की लहसुन की फसल पर मार पड रही है। जिससे इस साल लहसुन की पैदावार घट सकती है। पाटीदार ने कहा कि एक बीघा एक खेत में 20 से 25 क्विंटल लहसुन पैदा होना चाहिए। लेकिन अब तक 10 से 12 क्विंटल का ही उत्पादन मिल रहा है। पैदावार में कमी के कारण लहसुन की आवक काफी कम हो रही है।
जिंसों के दाम और आवक के आंकड़े रखने वाली एजेंसी एग्मार्कनेट के मुताबिक एक जनवरी से 6 फरवरी के बीच करीब 59,500 टन लहसुन की आवक हुई है। पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा करीब 1.88 लाख टन था। इस तरह इस साल आवक में करीब 68 फीसदी कमी आई है।
मुख्य उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में इस दौरान लहसुन की आवक 75 फीसदी घटकर 25,500 टन, उत्तर प्रदेश में 71 फीसदी घटकर 9,000 टन, राजस्थान में 62 फीसदी घटकर 6,760 टन और गुजरात में 59 फीसदी घटकर 8,070 टन रह गई।