घरेलू वायदा बाजार में गुरुवार को सोना फिसलकर 54,300 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर के नीचे चला गया । इससे पहले एमसीएक्स (MCX) पर बुधवार को कीमतें बढ़कर 55 हजार के स्तर के करीब चली गई थी।
जानकारों के अनुसार, नेगेटिव ग्लोबल ट्रेंड की वजह से घरेलू बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट आई है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में आज आई नरमी की वजह से हालांकि सोने की कीमतों में नरमी थोडी कम है क्योंकि रुपये में कमजोरी से सोने का आयात महंगा हो जाता है।
घरेलू वायदा बाजार यानी मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का बेंचमार्क फरवरी वायदा आज अपने पिछले क्लोजिंग प्राइस 54,674 रुपये के मुकाबले 54,481 रुपये प्रति 10 ग्राम खुला। 54,481 और 54,228 रुपये के दायरे में कारोबार करने के बाद यह 406 रुपये यानी 0.74 फीसदी की नरमी के साथ 54,268 रुपये प्रति 10 ग्राम देखा गया।
इसी तरह चांदी का बेंचमार्क मार्च वायदा 68,286 और 67,700 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में कारोबार करने के बाद 1349 रुपये यानी 1.95 फीसदी की तेज गिरावट के साथ 67,953 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा था।
Indian Bullion and Jewellers Association (IBJA) के अनुसार सोना (999) आज 340 रुपये की कमजोरी के साथ 54,046 रुपये प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया । सोना (995) और सोना (916) भी क्रमश: 339 और 311 रुपये की नरमी के साथ 53,830 और 49,506 रुपये प्रति 10 ग्राम पर दर्ज किए गए । चांदी भी 796 रुपये गिरकर 66,846 रुपये प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी।
ग्लोबल मार्केट
ग्लोबल मार्केट में स्पॉट (हाजिर) गोल्ड 0.92 फीसदी की कमजोरी के साथ 1,790.75 डॉलर प्रति औंस दर्ज किया गया। जबकि चांदी की हाजिर कीमतों में 2.93 फीसदी की गिरावट देखी गई ।
विश्व की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन को दर्शाने वाले यूएस डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) में फिलहाल 0.16 फीसदी की मजबूती है जिस वजह से सोने और चांदी की कीमतों पर दबाव बना है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से फिर से एक बार ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बढोतरी किए जाने की वजह से यूएस डॉलर इंडेक्स को सपोर्ट मिल रहा है।
ट्रेंड अभी भी सपोर्टिव
हालांकि सोने के लिए ट्रेंड कुल मिलाकर अभी भी सपोर्टिव हैं क्योंकि अमेरिका में महंगाई के आंकड़ों में उम्मीद के मुकाबले आई कमी की वजह से इस बात की संभावना बढ गई है कि यूएस फेडरल रिजर्व आगे ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गति को धीमा कर सकता है।