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सरकारी कोशिशें नाकाम, खाद्य तेल हुआ महंगा

Last Updated- December 07, 2022 | 2:05 AM IST

पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद अंतरराष्ट्रीय असर के चलते घरेलू बाजार में अब खाद्य तेलों की कीमत में तेजी आनी शुरू हो गयी है। इसके भाव में तेजी आने से सरकार की चिंता और गहरी हो गई है।


जबकि इससे महंगाई थामने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों की नाकामी के संकेत मिलते हैं। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबीटी) में खाद्य तेलों की ऊंची कीमत के चलते पिछले 9 मई से घरेलू खुदरा बाजार में इसकी कीमत 15 फीसदी तक बढ़ चुकी है।

वास्तव में कीमतों में बढ़ोतरी की वजह अर्जेंटीना में किसानों और सरकार के बीच होने वाला टकराव है। मालूम हो कि यह देश तिलहन के बड़े उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है। जाहिर है इस समस्या ने खाद्य तेलों की समस्या में इजाफा किया है।

थोक मूल्य सूचकांक में 2.76 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले खाद्य तेल में होने वाली मूल्य वृद्धि का सीधा प्रभाव आम आदमी पर पड़ता है, लिहाजा सरकार ने तेल समेत तमाम खाद्य पदार्थों के मूल्य पर नियंत्रण लगाने के लिए हरसंभव उपाय किए हैं। पर पिछले साल भर में अब तक इसके मूल्य में 25 फीसदी की तेजी आ चुकी है। ऐसी स्थिति से महंगाई नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए उपायों के असर का पता चलता है।

अभी हाल ही में अर्जेंटीना की सरकार ने पहले से तय 35 फीसदी स्थिर निर्यात कर की व्यवस्था को हटाकर इसे कीमत आधारित अस्थिर व्यवस्था में बदल दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि जब इसकी कीमत में वृद्धि होगी तब इसके निर्यात पर लगने वाला निर्यात शुल्क बढ़कर 40 फीसदी तक जा सकता है। सरकार के इस कदम का वहां के पाम और सोया किसान विरोध कर रहे हैं। पिछले हफ्ते किसानों और सरकार के बीच इस मुद्दे पर हुई बातचीत विफल हो गई है।

कोटक कमोडिटी सर्विसेज लिमिटेड के आमोल तिलक ने बताया कि इस बातचीत के विफल होने से अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में तेल के दामों में निश्चित ही वृद्धि होगी। शुक्रवार को जुलाई सौदे के लिए सोयाबीन की कीमत बढ़कर 13.69 डॉलर प्रति बुशेल तक पहुंच गयी। जुलाई के लिए ही सोया तेल में 2 सेंट की मजबूती दर्ज की गई और यह 63.83 सेंट प्रति पाउंड तक पहुंच गया।

जबकि इसी अवधि के लिए सोयामील का भाव 7.80 डॉलर की मजबूती के साथ 335.80 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गया। आंकडों के मुताबिक अर्जेंटीना में चल रहे टकराव के कारण अप्रैल में सोया की पेराई में 6 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। उधर चीन से खबर है कि भूकंप के बाद वहां सोयाबीन का भंडार बढ़ाया जा रहा है। बाजार सूत्रों के मुताबिक, देश में सोयाबीन पर लगने वाले मौजूदा 9 फीसदी निर्यात शुल्क को घटाकर 3 से 3.5 फीसदी तक ले जाने के लिए उच्च स्तर की बातचीत की जा रही है।

आरक्षण को लेकर राजस्थान में गुर्जरों के चलने वाले आंदोलन ने सरसों की आवक को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। उधर मिलों की ओर से सरसों की मांग के लगातार बढ़ते रहने और सोयाबीन की कीमत में वृद्धि होने से सरसों की कीमत में तेजी का दौर जारी रहेगा। केंद्रीय बजट के बाद सरकार ने कच्चे तेल पर लगने वाले आयात शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया है जबकि रिफाइंड खाद्य तेल पर लगने वाले आयात शुल्क को 7.5 फीसदी कर दिया है।

मजबूत होती खाद्य तेल की धार

तेल (प्रति किलो)               गैर-ब्रांडेड तेल (मुंबई)    परिवर्तन %में 
                                                                    09 मई          27 मई
मूंगफली तेल                     63.50                  67.50           6.30
रिफाइंड सोया तेल            57.50                  62.50           8.70
रिफाइंड पामोलीन तेल     54.80                  57.40           4.74
रिफाइंड सूरजमुखी तेल   64.50                  72.50           12.40
एक्सपेलर सरसों तेल      53.80                  61.50          14.31

First Published - May 29, 2008 | 12:15 AM IST

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