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गुटखे ने उतार दी पान की लाली

Last Updated- December 05, 2022 | 10:45 PM IST

अमीर खुसरो ने कहा था, ‘हिन्दुस्तान धरती का स्वर्ग है क्योंकि यहां पान मिलता है।’ लेकिन अंग्रेजों के जमाने से मशहूर दिल्ली की पान मंडी का कारोबार सिमटता जा रहा है।


नई पीढ़ी में पान खाने की लत कम हो गयी है। गुटखा ने पान के स्वाद को खराब कर दिया है। हालत ऐसी है कि पीढ़ी दर पीढ़ी से पान बेचने वाले कारोबारी अब अन्य कारोबार की ओर रुख करने का मन बना रहे हैं।


बीते दस सालों में पान की बिक्री में 50 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है। यानी कि आठ-दस साल पहले जहां इस मंडी से रोजाना लगभग 10 से 20 लाख रुपये की बिक्री होती थी वह गिरकर 10 लाख के आसपास हो गयी है।


दिल्ली के नया बांस स्थित पान  मंडी में तीस साल से पान के कारोबारी बजरंग बताते हैं, ‘दस साल पहले तक पान का कारोबार काफी अच्छा था। लेकिन गुटखा की शुरुआत ने पान बाजार को ठंडा कर दिया। अब तो रोजाना दिनभर में 100 टोकरी पान की बिक्री हो पाती है। पहले यह बिक्री 200 टोकरी के आसपास थी।’ गौरतलब है कि पान की बिक्री टोकरी या ढोली के हिसाब से की जाती हैं।


मझोले आकार की एक टोकरी में 1000-1200 पान होते हैं वही एक ढोली में 200 पान होते हैं। पान मर्चेंट एंड कमीशन एजेंट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जगदीश अग्रवाल कहते हैं, ‘हर आढ़ती व कमीशन एजेंट परेशान है। बिक्री की मात्रा दिनोदिन कम होती है जा रही है। जिस किसी को मौका मिल रहा है वह दूसरे कारोबार की ओर जा रहा है।’


वे कहते हैं कि जिस तरीके से अन्य उत्पादों को बेचने के लिए विज्ञापन व अन्य तरीकों की मदद ली जाती है वैसा पान के मामले में नहीं है। पान के कारोबार को प्रोत्साहन के लिए न तो सरकार की ओर से और न ही कारोबारियों की ओर से कोई प्रयास किया जाता है। क्योंकि पान का कारोबार संगठित नहीं है। पान के कारोबारियों को स्टोर करने की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ता है।


हालांकि पान के व्यापारियों को बिक्री कर नहीं देना पड़ता है। कारोबारियों के मुताबिक दिल्ली में मुख्य रूप से देसी, बनारसी, लंका, कपूरी व बंगला पान आते हैं। ये सभी पान बनारस, बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पुणे, भागलपुर, मुंबई व हावड़ा, केरल व बांगलादेश से आते हैं।


कारोबारियों के मुताबिक पान को न तो कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है और न ही फ्रीज में। पान को बचाने के लिए हर घंटे पर उसकी सफाई करनी पड़ती है और उसे गीले कपड़े से ढककर रखना पड़ता है। इस काम के लिए जगह की जरूरत होती है। कारोबारी कहते हैं, ‘पर्याप्त जगह हो तो उनका नुकसान आधा हो जाएगा।’


दिल्ली से मुख्य रूप से यूपी, पंजाब, जम्मू कश्मीर, व चंडीगढ़ व राजस्थान इलाके में पान भेजे जाते हैं। 150 पंजीकृत आढतियों वाली इस मंडी से निर्यात के नाम पर सिर्फ पाकिस्तान में ही पान भेजे जाते हैं। लेकिन हर कारोबारियों को यह सुविधा नहीं है।  


कारोबारियों के मुताबिक सबसे अधिक देसी व बनारसी पान की मांग होती है। इन दिनों देसी पान की कीमत 20-300  रुपये प्रति ढोली चल रही है। तो मीठा पत्ता महाराजपुर की कीमत 100-500 रुपये प्रति ढोली बतायी जा रही है। बनारसी पत्ते के दाम 50 -500 रुपये प्रति ढोली है तो मगही के भाव 150-200 रुपये प्रति ढोली बताए जा रहे हैं।

First Published - April 21, 2008 | 11:24 PM IST

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