मौसम के प्रतिकूल रहने से हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादन में पिछले साल की तुलना में इस साल 33 फीसदी तक की कमी हो सकती है।
राज्य के मुख्य कृषि सचिव पी. सी. कपूर ने बताया कि हम इस साल मौसम के अनुकूल न होने के चलते पिछले साल की तरह सेब की बंपर पैदावार उगाने नहीं जा रहे हैं। राज्य सरकार का अनुमान है कि इस साल महज 4 लाख टन सेब ही उत्पादित होगा, जबकि पिछली सीजन में 5.94 लाख टन सेब पैदा किया गया था।
साल 2006 में तो यहां केवल 2.5 लाख टन सेब ही पैदा हो पाया था। कृषि सचिव कपूर ने बताया कि अप्रैल में फसल के तैयार होते समय तापमान में काफी कमी हो जाने से सेब की फसल को यह नुकसान पहुंचा है। सीआईआई के एक कार्यक्रम में भाग लेने यहां आए कपूर ने बताया कि ठंडे मौसम की वजह से परागण की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई है जिससे कि उत्पादन में कमी के आसार हैं।
इस बीच खबर है कि राज्य सरकार 3 से 5 करोड़ रुपये खर्च कर अमेरिका से सेब की नई पौध आयात करने जा रही है ताकि सेब के पुराने बगीचे की जगह नए बगीचे लगाए जाएं। उनके अनुसार, हिमाचल प्रदेश के सेब के बगीचे 30 से 40 साल पुराने हैं लिहाजा इन्हें हटाए जाने की जरूरत है। इनकी जगह उच्च उत्पादकता वाले सेब के नए पौधे अमेरिका से मंगाए जाने की योजना है।
इसके लिए राज्य सरकार ने 2002 से ही चरणबद्ध प्रक्रिया की शुरूआत कर दी है। पिछले साल राज्य में 2.5 करोड़ रुपये के सेब के पौधे अमेरिका से मंगाए गए थे। मालूम हो कि यह राज्य देश के बड़े सेब उत्पादकों में से एक है। शिमला, कुल्लु, किन्नौर और सोलन जिलों में सेब का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।