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आईसीई, एनसीडीईएक्स में घटाएगा हिस्सेदारी

Last Updated- December 10, 2022 | 12:46 AM IST

अटलांटा स्थित वायदा एक्सचेंज को संचालित करने वाला वायदा एक्सचेंज इंटरकॉन्टीनेन्टल एक्सचेंज (आईसीई) भारत के दूसरे सबसे बड़े कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) में अपनी इक्विटी भागीदारी कम करने पर विचार कर रहा है।
एनसीडीईएक्स का कारोबार कम होने की वजह से तीसरी तिमाही के दौरान आईसीई को अपने कारोबार में 160 लाख अमेरिकन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। न्यूयार्क, लंदन, विन्निपेग और कनाडा में वायदा कारोबार करने वाला आईसीई के शेयरों में भारी नुकसान हुआ ।
उसकी दो प्रमुख वजह बताई जा रही है पहली भारत सरकार का वह आदेश जिसके तहत कोई भी विदेश संस्थागत निवेशक या संस्था किसी भी कृषि आधारित वायदा कारोबार करने वाले एक्सचेंजों में पांच फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती, इस बयान के बाद आईसीई के शेयरों में गिरावट आई।
24 लाख इक्विटी शेयरों के साथ आईसीई की एनसीडीईएक्स में आठ फीसदी की हिस्सेदारी थी जिसको सरकारी आदेशानुसार सितंबर तक 5 फीसदी करना था। दूसरा कारण इस कारोबारी साल में एनसीडीईएक्स के कारोबार में कमी की वजह से कंपनी के शेयर कीमतों में कमी हो रही थी।
इस समय एनसीडीईएक्स को दैनिक औसत कारोबार गिरकर सिर्फ 13,00-1500 करोड़ रुपये रह गया है। आईसीई एनसीडीईएक्स से अपनी हिस्सेदारी को निकालकर किसी दूसरे एक्सचेंज में लगाने पर विचार कर रही है लेकिन किसी एक्सचेंज में कंपनी निवेश करेंगी यह अभी खुलासा होना बाकी है।
दूसरी तरफ एनसीडीईएक्स केप्रबंध निदेशक आर राम सेसन का कहना है कि हमारे पास अभी तक ऐसी कोई भी लिखित जानकारी नहीं प्राप्त हुई है।  आईसीई की इस खबर पर शेयरखान के कमोडिटी रिसर्च हेड मेहुल अग्रवाल कहते हैं कि इसका एनसीडीईएक्स के कारोबार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
सरकारी आदेश की वजह से सभी विदेशी निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी कम करनी ही थी। आईसीई की हिस्सेदारी भी समयानुसार कम की गई लेकिन तिमाही नतीजों को घोषित करते समय यह बात निकल कर आई है।

First Published - February 11, 2009 | 10:10 PM IST

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