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पाम ऑयल में नरमी से ‘फिसल’ गए आयातक

Last Updated- December 07, 2022 | 5:03 PM IST

पाम ऑयल की कीमत में 18-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट के कारण वनस्पति तेल आयातकों की कमर टूट गयी है। इतने जबरदस्त तरीके से तेल की खाई में गिरने के बाद उन्हें निकलने का कोई रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है।


फिलहाल उन्होंने तेल का आयात बंद कर दिया है। इस कारण इस महीने पाम तेल के आयात में 25-30 फीसदी की कमी आने की संभावना है। हालांकि दिल्ली के थोक व्यापारियों का कहना है कि यह गिरावट 50 फीसदी से अधिक हो सकती है।  दूसरी ओर सरसों तेल का बाजार पॉम ऑयल के फिसलने के जरा भी प्रभावित नहीं हुआ है।

पाम ऑयल का अंतरराष्ट्रीय  बाजार इन दिनों रोजाना टूट रहा है। इस कारण जिन आयातकों ने एक माह पहले आयात का आर्डर दिया था उन्हें बढ़ी हुई दर से ही कीमत चुकानी पड़ रही है। दूसरी बात यह है कि वे वायदा बाजार में भी हेजिंग नहीं कर सकते हैं। क्योंकि पॉम ऑयल का वायदा बाजार भी लगातार टूट रहा है।

वडोदरा स्थित आयातक एमजी चावला ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘आयातक इन दिनों काफी घबराए हुए हैं। पिछले एक सप्ताह से वे कोई भी नया ऑर्डर नहीं कर रहे हैं। इस महीने 3.5 लाख टन से ज्यादा आयात की कोई संभावना नहीं नजर आ रही है।’ अमूमन प्रति माह पाम ऑयल का 4.5-5 लाख टन आयात होता है।

दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स असोसिएशन (डिवोटा) के अध्यक्ष लक्ष्मी चंद्र अग्रवाल कहते हैं, ‘यह मौसम त्योहार का है और अगस्त-सितंबर महीने के दौरान कम से कम 50 हजार टन अधिक तेल का आयात होता है। लेकिन इस बार तो 50 फीसदी कम आयात होने की उम्मीद है।’ थोक बाजार में पॉम ऑयल की कीमत 437 रुपये प्रति दस किलोग्राम के स्तर पर आ गयी है।

मात्र 20-25 दिन पहले तक इसकी कीमत 60 रुपये प्रति किलोग्राम थी। आयातकों का कहना है कि अक्टूबर के पहले तेल आयात में बढ़ोतरी की कोई संभावना नहीं है। व्यापारियों के मुताबिक वायदा बाजार व अंतरराष्ट्रीय बाजार में पॉम ऑयल के रोजाना फिसलने से थोक कारोबारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

First Published - August 15, 2008 | 4:21 AM IST

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