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Crude oil का आयात दिसंबर में 11% घटा, रूस और सऊदी से कम हुई सप्लाई

वाणिज्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि आयात में क्रमिक आधार पर 16.5 फीसदी की कमी आई है।

Last Updated- March 17, 2025 | 9:42 AM IST
There is speculation about 2025 in the global crude oil trade

रूस और सऊदी अरब, कुवैत जैसे पश्चिम एशिया के पारंपरिक आपूर्तिकर्ताओं द्वारा कम आपूर्ति के कारण दिसंबर, 2024 में भारत के कच्चे तेल का आयात 10.6 फीसदी (YoY) घटकर 10.34 अरब डॉलर का रह गया, जो दिसंबर 2023 में 11.57 अरब डॉलर था।

वाणिज्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि आयात में क्रमिक आधार पर 16.5 फीसदी की कमी आई है। इसके पिछले महीने यानी नवंबर में 12.4 अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात हुआ था। तेल आयात के आंकड़े सामान्यतया 3 महीने देरी से जारी होते हैं।

मुख्य बात यह है कि रूस से आयात 4 महीने में पहली बार दिसंबर 2024 में कम हुआ। इससे संकेत मिलता है कि कच्चे तेल की रूस से आपूर्ति में मूल्य के हिसाब से गिरावट अमेरिका द्वारा जनवरी में रूस पर लक्षित प्रतिबंध लगाए जाने के पहले से ही शुरू हो गई थी। दिसंबर में रूस से आयात सालाना आधार पर 18.48 फीसदी गिरकर 3.19 अरब डॉलर रह गया, जो दिसंबर 2023 में 3.92 अरब डॉलर था।

दिसंबर से पहले रूस से कच्चे तेल की आवक नवंबर, अक्टूबर और सितंबर में क्रमशः 8 फीसदी, 53 फीसदी और 34.2 फीसदी बढ़ी। बड़ी घरेलू रिफाइनरीज में रखरखाव के काम के कारण योजनाबद्ध तरीके से बंदी की वजह से अगस्त में आयात घटा था।

ब्रेंट क्रूड की कीमत दिसंबर 2023 की तुलना में दिसंबर 2024 में 4.57 डॉलर प्रति बैरल कम थी। रूस से कच्चे तेल के आयात में कमी न सिर्फ कम कीमत की वजह से है, बल्कि आंकड़ों से पता चलता है कि मात्रा के हिसाब से भी आयात में 12.3 फीसदी की गिरावट आई है।

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने पहले कहा था कि रूस में ज्यादा घरेलू मांग की वजह से तेल निर्यात घटा है क्योंकि रखरखाव का काम पूरा होने के बाद ज्यादातर रूस की रिफाइनरियां कामकाज शुरू कर रही हैं। हालांकि कीमत छूट में कमी की भी इसमें भूमिका हो सकती है।

आयात के अन्य बड़े स्रोतों सऊदी अरब और कुवैत ने भी क्रमशः 43.1 फीसदी और 38 फीसदी कम तेल भेजा है। इन दो देशों से मात्रा के हिसाब से भी तेल आयात में क्रमशः 36.4 फीसदी और 33.6 फीसदी गिरावट आई है।

दोनों देशों से कुल तेल निर्यात में गिरावट के कारण ऐसा हुआ। दिसंबर की शुरुआत में सऊदी अरब और उसके ओपेक प्लस साझेदार समूह ने उत्पादन कटौती में ढील देरी से शुरू करने का फैसला किया था। इसकी वजह से उत्पादन में 22 लाख बैरल प्रतिदिन कटौती को अप्रैल 2025 तक के लिए जारी रखने का फैसला किया गया।

रिफाइनरियों ने सऊदी अरब के कच्चे तेल के आयात में भी कटौती की है, क्योंकि उस समय इसका प्रमुख उत्पाद अरब लाइट क्षेत्रीय बेंचमार्क की तुलना में लगभग 2.5 डॉलर प्रति बैरल अधिक कीमत पर कारोबार कर रहा था, तथा यह वैकल्पिक आपूर्ति की तुलना में महंगा था। पश्चिम एशिया के अन्य आपूर्तिकर्ता ज्यादा आकर्षक कीमत की पेशकश कर रहे थे और इराकी क्रूड की कीमत में 29 फीसदी वृद्धि के बाद रिफाइनरों ने अपने ऑर्डर में बदलाव किया।

आपूर्ति में बदलाव

दिसंबर के आंकड़ों से पता चलता है कि पहले की तुलना में उम्मीद से अधिक ढील के कारण जनवरी के बाद से कच्चे तेल की मांग का बड़ा हिस्सा अन्य स्रोत देशों की ओर स्थानांतरित हो सकता है। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने 10 जनवरी को रूस के खिलाफ व्यापक प्रतिबंधों की घोषणा की, जिसके तहत तेल उत्पादकों, टैंकरों, मध्यस्थों, व्यापारियों और बंदरगाहों को निशाना बनाया गया। अमेरिकी वित्त विभाग ने तेल व गैस दिग्गज गैजप्रोम नेफ्ट और सरगुटनेफ्टगैस पर प्रतिबंध लगाए। भारत के हिसाब से महत्त्वपूर्ण यह है कि अमेरिका ने रूस के तेल ले जाने वाले 183 जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया।

First Published - March 16, 2025 | 10:23 PM IST

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