रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक दिन के कारोबारी सत्र के दौरान मंगलवार को 86.69 रुपये प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। डीलरों का कहना है कि विदेशी निवेशकों और तेल आयातकों ने डॉलर की मांग जारी रखी, जिससे रुपये में गिरावट आई। हालांकि, दिन में कारोबारी सत्र के अंत तक रुपये में कुछ सुधार दिखा और यह 86.64 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ। सोमवार को रुपया 86,58 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस महीने में अब तक रुपये में 1.18 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है जबकि चालू वित्त वर्ष में रुपये में 3.73 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। रुपया 16 कारोबारी सत्रों में 85 रुपये प्रति डॉलर से गिरकर 86 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के डीलर ने कहा, ‘तेल आयातकों और विदेशी बैंकों की तरफ से खरीदारी की गई और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का हस्तक्षेप न्यूनतम था।’
इस बीच बॉन्ड डीलरों ने बताया कि बेंचमार्क 10 साल के सरकारी बॉन्ड यील्ड में 3 आधार अंकों की कमी आई क्योंकि कारोबारियों ने आकर्षक स्तर पर बॉन्ड की खरीदारी की। बाहरी भुगतान के कारण 1 साल और 5 साल के लिए रात भर के ब्याज स्वैप दर में भी क्रमशः 3 आधार अंकों और 1 आधार अंक की गिरावट आई।
एक प्राथमिक डीलरशिप के एक डीलर ने कहा, ‘घरेलू स्तर पर मांग है और कुछ वक्त के लिए 10 साल की बेंचमार्क यील्ड फिलहाल 6.85 प्रतिशत से आगे नहीं बढ़ेगी। साथ ही, आरबीआई नकदी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उपाय कर रहे हैं जिससे नकदी बढ़ने की उम्मीद है जो बाजार के लिए सकारात्मक है।’बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि रुपया 86 के स्तर को बाजार की आशंका से काफी पहले ही पार चुका है और जल्द ही 87 प्रति डॉलर के करीब पहुंच सकता है।
एलकेपी सिक्योरिटीज में उपाध्यक्ष शोध विश्लेषक (जिंस और मुद्रा) जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘पूंजी बाजार में सकारात्मक खरीद विशेष रूप से सरकारी कंपनियों के शेयरों की खरीद के साथ ही पिछले दो दिनों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा निवेश किए जाने से रुपये को थोड़ा समर्थन मिला। बजट को लेकर उम्मीदें बढ़ने के बीच इन कारकों से भी आगे मजबूती मिल सकती है। रुपये के लिए कारोबारी सीमा अनुमानित तौर पर 86.25 और 86.85 के बीच है, और प्रतिभागी घरेलू घटनाक्रमों और वैश्विक संकेतों पर ध्यान दे रहे हैं।’