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डयूटी कट का फायदा इंडोनेशिया को!

Last Updated- December 05, 2022 | 5:13 PM IST

सेंट्रल आर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) ने कहा है कि वनस्पति तेलों पर आयात शुल्क में कमी करके भारत सरकार घरेलू उपभोक्ताओं की जगह इंडोनेशिया की सरकार को फायदा पहुंचा रही है।


सीओओआईटी के अध्यक्ष दविश जैन ने वित्त मंत्री को लिखे एक पत्र में कहा है कि सरकार के इस फैसले से इंडोनेशिया सरकार को 2000 करोड़ रुपये का फायदा होगा। जैन का कहना है कि जब कभी भारत  सरकार ने आयात शुल्क में कटौती की है तो उसका फायदा निर्यात करने वाले देशों को ही मिला है।


गत सप्ताह सरकार ने कच्चे पामऑयल पर लगने वाले आयात शुल्क में 20 से 45 फीसदी तक की कटौती की है। जबकि रिफायंड पामऑयल पर 27.5 फीसदी से 52.5 फीसदी तक की कटौती की गई है। हालांकि सोया तेल पर लगने वाले आयात शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस कटौती के तुरंत बाद इंडोनेशिया की सरकार ने कच्चे पाम ऑयल के आधार मूल्य में बढ़ोतरी करते हुए इसके भाव 988 डॉलर प्रतिटन की जगह 1196 डॉलर प्रति टन करने की घोषणा कर दी।


उसी तरीके से आरबीडी पामऑयल के मूल्यों को भी बढ़ा दिया गया। आयात शुल्क में कटौती से पहले आरबीडी पामोलीन का आधार मूल्य जहां 1063 डॉलर प्रतिटन था वह बढ़कर 1303 डॉलर प्रतिटन हो गया। इस प्रकार से कच्चे तेल पर लगने वाला निर्यात शुल्क बढ़कर 140 डॉलर  प्रतिटन हो गया तो आरबीडी पामोलीन पर यह निर्यात शुल्क बढ़कर 154 डॉलर प्रतिटन हो गया।


जैन का कहना है कि सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को फायदा देने के बजाय इंडोनेशिया सरकार की जेब में पैसे डाल रही है। और इससे भारत सरकार के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती। गौरतलब है कि भारत खाद्य तेलों की अपनी कुल पूर्ति के 45 फीसदी हिस्से का आयात मलेशिया व इंडोनेशिया से करता है।  वित्त मंत्री को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि आयात शुल्क में कटौती से पहले विश्व बाजार में तेल के दामों में लगातार तीन सप्ताह से गिरावट हो रही थी।


कच्चे पामऑयल की कीमत गत 29 फरवरी को 1325 डॉलर प्रतिटन थी जो 20 मार्च को गिरकर 1150 डॉलर प्रतिटन के स्तर पर आ गई थी। उसी तरह इस अवधि के दौरान कच्चे सोयाबीन तेल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान सोयाबीन तेल की कीमत प्रतिटन 1570 डॉलर से गिरकर 1375 डॉलर प्रतिटन के स्तर पर आ गई थी।

First Published - March 28, 2008 | 12:40 AM IST

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