सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया गिकर 84.12 के नए निचले स्तर पर पहुंच गया। डीलरों का कहना है कि विदेशी निवेशकों ने एशिया की अन्य मुद्राओं के संतुलन के लिए घरेलू शेयरों की बिकवाली की, जिसके कारण रुपये पर असर पड़ा है।
बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की बिक्री के माध्यम से हस्तक्षेप किया, जिससे रुपये में और गिरावट को रोका जा सके। स्थानीय मुद्रा गुरुवार को एक दिन के कारोबार में गिरकर 84.12 के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद 84.09 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुई थी।
कच्चे तेल की कीमत बढ़ने का भी रुपये पर अतिरिक्त दबाव पड़ा। ओपेक प्लस द्वारा दिसंबर में उत्पादन बढ़ाने की योजना में देरी करने की घोषणा के बाद ब्रेंट क्रूड की कीमत 1.5 प्रतिशत बढ़कर 74.11 डॉलर प्रति बैरल हो गई। उत्पादन बढ़ाने में देरी करने की घोषणा के बाद कम मांग के बाद कीमत पर दबाव बढ़ा। पिछले 2 साल में ओपेक ने उत्पादन में 60 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती की है, जिससे कीमतें स्थिर हो सकें।
इसके अलावा डॉलर कमजोर होने और चीन के प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीदों के कारण भी कीमतों में तेजी आई है। एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘धन निकासी और कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से रुपया गिरा है। अमेरिका में चुनाव भी अभी चिंता का विषय है।’उन्होंने कहा कि रुपये के 84.12 के करीब पहुंचने पर रिजर्व बैंक बाजार में मौजूद था।