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पोल्ट्री उत्पादन घटाने के निर्देश

Last Updated- December 07, 2022 | 11:01 AM IST

पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात और उत्पादन में आए असंतुलन को दूर करने के लिए नैशनल एग कोऑर्डिनेशन कमिटी (एनईसीसी) ने अपने क्षेत्रीय केंद्रों से आग्रह किया है कि कुक्कुटों की संख्या में 25 फीसदी तक की कटौती करें। इससे लगभग 2 करोड़ कुक्कुटों के कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है।


उम्मीद की जा रही है कि इससे महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कुक्कुटों की कीमत में 25 फीसदी की कमी हो सकती है। उत्पादन लागत में वृद्धि के मद्देनजर एनईसीसी ने कृषि मंत्री शरद पवार से आग्रह किया है कि वह मक्के की तरह सोयामिल के निर्यात पर भी पाबंदी लगाए।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में फैले बर्ड फ्लू के मद्देनजर इस साल के अगस्त तक देश से पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसका असर यह हुआ है कि देश में अंडे और मुर्गियों की बहुतायत हो गयी। यही नहीं, कुक्कुटों की खाद्य सामग्रियां मसलन, मक्के और सोयामिल के काफी महंगे हो जाने से पोल्ट्री उद्योग के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो गयी।

एनईसीसी की पश्चिम बंगाल शाखा के अध्यक्ष मदन मोहन मैती के मुताबिक, हालांकि बर्ड फ्लू फैलने के बाद से अब तक इन उत्पादों की खपत में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। लेकिन निर्यात रुक जाने से पॉल्ट्री उत्पादों की मांग और आपूर्ति के समीकरण गड़बड़ हो गए हैं। उन्होंने बताया कि मक्के और सोयामिल के महंगे होने से पोल्ट्री उत्पादों की कीमत भी बढ़ गयी है, जिससे पॉल्ट्री उत्पादकों को नुकसान हो रहा है। फिलहाल एक अंडा की उत्पादन लागत 2.20 रुपये आ रही है। देश के बड़े बाजारों में एक अंडे का थोक मूल्य 1.90 रुपये है, जबकि इसका खुदरा मूल्य 2.40 रुपये है।

पिछले दिनों मक्के के निर्यात पर रोक लगाए जाने पर पोल्ट्री उद्योग ने राहत की सांस ली थी। सरकार के इस कदम से उत्पादन लागत में कमी आने की उम्मीद है लेकिन यह उद्योग इतने भर से ही संतुष्ट नहीं है। पोल्ट्री कारोबारी चाहते हैं कि सोयामिल के निर्यात पर भी पूरी या आंशिक रोक लगे क्योंकि सोयामिल भी कुक्कुटों के मुख्य आहारों में से है। ऐसे में मक्के की कीमत में कमी आने भर से ही पोल्ट्री उत्पादों की कीमतें कम नहीं होंगी।

कारोबारियों की मांग है कि सरकार सोयामिल को भी सस्ता करने की कोशिश के तहत इसके निर्यात पर रोक लगाने के साथ-साथ इसकी जमाखोरी को भी हतोत्साहित करे। कृषि मंत्री शरद पवार को भेजे खत में एनईसीसी ने कहा है कि कारगिल जैसी कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने सोयामिल की जबरदस्त जमाखोरी की हुई है। इससे बाजार में इसकी कीमतें चढ़ रही हैं। हालांकि, सरकार का मानना है कि पोल्ट्री उद्योग में सोयामिल के कुल उत्पादन का 42 फीसदी खपत हो रहा है। लेकिन पोल्ट्री उद्योग इससे सहमत नहीं है। उसका मानना है कि इस उद्योग में सोयामिल के कुल उत्पादन के 50 फीसदी से भी अधिक की खपत हो रही है।

पिछले साल सोयामिल की कीमत प्रति टन 9,000 से 10,000 टन के बीच थी जो इस साल लगभग 250 फीसदी तक बढ़ चुकी है। फिलहाल सोयामिल की कीमत प्रति टन 23,500 रुपये तक पहुंच चुकी है।  अधिकारियों के मुताबिक, यह संगठन उम्मीद करता है कि पॉल्ट्री लोन पर मिलने वाली मौजूदा 4 फीसदी की सरकारी मदद को बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया जाएगा। आंकड़ों के मुताबिक, देश से 3 करोड़ अंडे का रोज निर्यात होता है जबकि 40 लाख टन कुक्कुटों के मांस का निर्यात होता है।

First Published - July 14, 2008 | 12:35 AM IST

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