facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

खरीफ के रकबे का सैटेलाइट डेटा से लगाया जाएगा अनुमान

फसलों के रकबे का अनुमान सैटेलाइट डेटा से लगाने पर परिणाम ने 93 से 95 प्रतिशत की सीमा में सटीकता दिखाई है, जो मैनुअल विधि से काफी अधिक है।

Last Updated- June 11, 2025 | 11:00 PM IST
Kharif sowing advisory
प्रतीकात्मक तस्वीर

इस साल खरीफ फसलों के रकबे का पहला अग्रिम अनुमान सितंबर में जारी होने की संभावना है। यह अनुमान पूरी तरह से सैटेलाइट डेटा पर आधारित होने जा रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को सूत्रों ने बताया कि रकबे का अनुमान पूरी तरह सैटेलाइट डेटा से लगाने के बाद फसलों के क्षेत्रफल के अनुमानों की गणना करने के पारंपरिक विधि ‘गिरदावरी प्रणाली’ को खत्म कर दिया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि पायलट अध्ययनों में फसलों के रकबे का अनुमान सैटेलाइट डेटा से लगाने पर परिणाम ने 93 से 95 प्रतिशत की सीमा में सटीकता दिखाई है, जो मैनुअल विधि से काफी अधिक है। सितंबर से हम खरीफ फसलों के लिए पूरी तरह से डिजिटल रकबा डेटा जारी करेंगे। कृषि मंत्रालय सैटेलाइट आधारित डेटा का उपयोग करके देश के सभी जिलों में फसल क्षेत्र के आकलन की प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाकर रकबा अनुमान में सुधार करने के लिए काम कर रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित ‘गिरदावरी प्रणाली’ में  एक ग्राम लेखाकार शामिल होता है। जिसे पटवारी कहा जाता है, जो भूमि अभिलेखों का रखरखाव करता है तथा उन्हें फसलों के प्रकार, क्षेत्र और अन्य विवरणों की जानकारी के साथ अद्यतन करता है। सूत्रों ने कहा, ‘हमें राज्यों से सहयोग मिला है और वे कृषि सांख्यिकी में सुधार के लिए साथ हैं। यह सैटेलाइट डेटा फसलों के रकबे का अनुमान उसी दिशा में उठाया गया कदम है। अनुमानों में बार-बार और बड़े संशोधन अस्थिरता पैदा करते हैं और हम इससे बचना चाहते हैं।’ सैटेलाइट डेटा के उपयोग से नई और उभरती फसलों विशेषकर बेरी, एवोकाडो , ड्रैगन फ्रूट और कीवी आदि फलों के रकबा के डेटा का अनुमान लगाने में भी मदद मिलेगी।

सूत्रों ने कहा, ‘मौजूदा मैनुअल विधि इन नई विविध फसलों के लिए कोई अनुमान देने में विफल रहती है जिन्हें लोगों ने उगाना शुरू कर दिया है। यह सैटेलाइट डेटा आधारित रकबा अनुमान कृषि डेटा संग्रह में एक महत्वपूर्ण कदम होगा क्योंकि वर्तमान विधियां केवल धान, मक्का, ज्वार आदि जैसी 25 से 26 प्रमुख खरीफ फसलों के लिए डेटा देती हैं।’

First Published - June 11, 2025 | 10:40 PM IST

संबंधित पोस्ट