खरीफ फसलों की बोआई लगभग खत्म हो चुकी है। मॉनसून में देरी और इसके बाद बारिश में कमी के बावजूद खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान का रकबा 400 लाख हेक्टेयर पार कर गया, जबकि धान को पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। दलहन फसलों की बोआई में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। तिलहन फसलों का रकबा भी करीब एक फीसदी घटा है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 8 सितंबर तक 403.41 लाख हेक्टेयर में धान की बोआई हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकडा 392.81 लाख हेक्टेयर था। मानसून देर से आने के बावजूद धान के रकबा में 2.70 फीसदी बढोतरी दर्ज की गई है। गन्ने का रकबा 7.66 फीसदी बढ़कर 59.91 लाख हेक्टेयर रहा। कपास की बोआई में करीब 2 फीसदी कमी आई है। खरीफ फसलों की कुल बोआई पिछले साल के लगभग बराबर ही है। इस साल अब तक 1,088.50 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलें बोई जा चुकी हैं। पिछले साल इस समय 1,088 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलें बोई गईं थी।
इस सप्ताह तक 119.91 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि की बोआई 131.17 लाख हेक्टेयर से 8.59 फीसदी कम है। खरीफ सीजन की प्रमुख दलहन फसल अरहर का रकबा 5.89 फीसदी घटकर 42.92 लाख हेक्टेयर, मूंग का रकबा 7.60 फीसदी घटकर 31.11 लाख हेक्टेयर और उड़द का रकबा 13.98 फीसदी घटकर 31.89 लाख हेक्टेयर रहा।
इस खरीफ सीजन में तिलहन फसलों की बोआई में मामूली गिरावट दर्ज की गई है। इस सप्ताह तक 191.49 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि में 193.30 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 0.93 फीसदी कम है। हालांकि खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन का रकबा एक फीसदी बढ़कर 125.40 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया। खरीफ सीजन की दूसरी प्रमुख तिलहन फसल मूंगफली का रकबा 3.46 फीसदी घटकर 43.73 लाख हेक्टेयर रह गया। तिल का रकबा 7.62 फीसदी गिरावट के साथ 11.98 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया। अरंडी का रकबा 13.36 फीसदी बढ़कर 9 लाख हेक्टेयर हो गया।
चालू खरीफ सीजन में अब तक 182.21 लाख हेक्टेयर में मोटे अनाज की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि में 181.24 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से करीब आधा फीसदी अधिक है। बाजरा का रकबा 0.38 फीसदी बढ़कर 70.84 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया। मक्का की बोआई 2.36 फीसदी बढ़कर 83.33 लाख हेक्टेयर और रागी का रकबा 0.56 फीसदी घटकर 8.73 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि ज्वार का रकबा 1.50 फीसदी बढ़कर 14.08 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया।