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सुधरेगा आधारभूत धातुओं का बाजार!

Last Updated- December 08, 2022 | 10:41 AM IST

आवासीय क्षेत्र और केबल उद्योग की ओर से बढ़ती मांग के चलते उम्मीद है कि अगले हफ्ते आधारभूत धातुओं (बेस मेटल) की कीमतों में थोड़ी तेजी आएगी।


फिलहाल इन धातुओं का कारोबार उत्पादन लागत से कम कीमत या इसके आस-पास हो रहा है, लिहाजा मांग बढ़ने का अनुमान है। चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ के कई कारोबारी बाजार के कमजोर रुख को देखते हुए इसकी कीमत में कमी का इंतजार कर रहे हैं।

कारोबारियों ने संकेत दिए हैं कि कीमतों में जैसे ही कमी होगी, वैसे ही ऑर्डर मिलने में तेजी आ जाएगी।धातु उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, आधारभूत धातुओं की मांग बिल्कुल गायब हो जाने से इस समय इनकी कीमत उत्पादन लागत से भी 15-20 फीसदी नीचे चल रही है।

जानकारों के मुताबिक, ऐसा लंबे समय तक नहीं चलने वाला। फिलहाल मौजूदा दरें लाभकारी न होने से कई खानों को बंद कर दिया गया है।

यदि कीमतों में अब भी सुधार न हुआ तो जल्द ही कई और खदानें बंद हो सकती हैं। एंजिल ब्रोकिंग के एक विश्लेषक ने बताया कि आधारभूत धातुओं ने अब अपना न्यूनतम स्तर छू लिया है। इसके और नीचे जाने के आसार नहीं है।

 इसकी कीमतें थोड़ा ऊपर चढ़ते  ही उम्मीद है कि पूंजी बाजार में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कारोबारियों की ओर से इसकी बिक्री शुरू हो जाएगी।

इस तरह अगले तीन महीने तक ऐसे ही चूहे और बिल्ली का खेल चलते रहने की उम्मीद है। यह तब तक चल सकता है जब तक कि चीन में धातुओं की मांग जोर न पकड़ ले।

वैसे रिपोर्ट में बताया गया है कि मांग सुस्त रहने और गोदामों में इसका भंडार बढ़ने से बेस मेटल की कीमतें एक बार फिर नीचे जा सकती है।

अमेरिकी डॉलर में भी गिरावट की उम्मीद है पर इसके चलते गिरती अर्थव्यवस्था को सहारा मिलने की उम्मीद नहीं है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा आर्थिक मंदी के चलते पूरी दुनिया का वित्तीय बाजार प्रभावित हुआ है।

चीन के वित्तीय पैकेज के बाद बाजार में आशा की लहरें उफान पर हैं। उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2009 के दौरान हालात सुधरेंगे। ब्लूम्सबरी के अनुमान के मुताबिक, चीन की मांग 2.6 फीसदी घटने से अगले वर्ष तांबे की मांग 4.1 फीसदी गिर सकती है। अमेरिका में तांबे की मांग अगले साल 6.9 फीसदी गिरने की उम्मीद है।

वैसे इस साल दुनिया में तांबे की मांग 56 फीसदी तक गिरी है। रेलीगेयर कमोडिटीज के एक विश्लेषक ने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही तक आधारभूत धातुओं पर दबाव बना रहेगा।

शुक्रवार को बाजार बंद होते वक्त तांबे की कीमतों में थोड़ा सुधार हुआ। मालूम हो कि बीते हफ्ते तांबे में करीब 9.63 फीसदी की गिरावट हुई। मंदी के चलते ऊर्जा और निर्माण कार्यों में इस धातु की खपत करीब जुलाई से अब तक 65 फीसदी घटी है।

जुलाई में तांबे की कीमत 8,940 डॉलर प्रति टन तक चली गई थी। सीसे में 15.54 फीसदी की कमी होकर भाव 864 डॉलर प्रति टन हो गए।

अल्युमीनियम, निकल और जिंक में क्रमश: 1, 2.48 और 3.65 फीसदी की कमी हुई और इनके भाव क्रमश: 1483, 10288 और 1136 डॉलर प्रति टन रह गए।

उद्योग जगत के सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल तांबे का उत्पादन शुल्क 3,300 डॉलर प्रति टन रह रहा है। वहीं जस्ते और सीसे का उत्पादन शुल्क 1,300 और 1,000 डॉलर प्रति टन आ रहा है।

First Published - December 21, 2008 | 11:44 PM IST

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