समर्थन मूल्य में वृद्धि और उत्पादन में कमी होने के अनुमान के चलते सोमवार को वायदा और हाजिर बाजार में मक्के ने 1,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर लिया।
हालांकि एक पखवाड़ा पहले ही सरकार ने मक्के के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था ताकि देश में इसकी कमी न हो और कीमतें ज्यादा न बढ़ पाए। आंध्र प्रदेश के निजामाबाद स्थित मक्के की मुख्य मंडी में मक्के का हाजिर भाव 1,017 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया।
जबकि हाजिर बाजार में तेजी से प्रभावित हो मक्के का वायदा भाव भी 1,000 रुपये की सीमा को पार कर गया है। बाजार के जानकारों के मुताबिक, कीमतों में यह बढ़ोतरी मक्के के समर्थन मूल्य में वृद्धि और इसके उत्पादन में कमी होने की संभावना की वजह से हुई है। दिलचस्प बात है कि सरकार ने एक पखवाड़ा पहले मक्के की कीमतों में और अधिक वृद्धि रोकने के लिए इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद मक्के की कीमत में इतना जबरदस्त उछाल आ गया है।
कार्वी कॉमट्रेड की विशेषज्ञ ए. राजलक्ष्मी के मुताबिक, निर्यात पर लगे प्रतिबंध के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि मक्के का उत्पादन घट सकता है। यही नहीं बाजार में ऐसी अफवाहें भी हैं कि इस महीने के अंत तक सरकार मक्के के समर्थन मूल्य में वृद्धि कर सकती है। राजलक्ष्मी के अनुसार अभी तक सरकार के आंकड़े बताते हैं कि मक्के के रकबे में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है। लेकिन खेतों के निरीक्षण करने से पता चल रहा है कि इस बार मक्के की फसल काफी कमजोर है, लिहाजा मक्के के कुल उत्पादन में कमी होने के आसार हैं।
मंडी में मक्के की आवक जो अगस्त से शुरू हो सकती है, की स्थिति फिलहाल काफी अच्छी नहीं है। ऐसे में अटकलें लगायी जा रही हैं कि मक्का इस दबाव में आ सकता है। सूत्रों के अनुसार, इस साल मक्के का उत्पादन पिछले साल के 1.85 करोड़ टन की तुलना में 1.6 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में अटकलें हैं कि यह मौजूदा 620 रुपये से बढ़ाकर 840 रुपये प्रति क्विंटल तक की जा सकती है।
कार्वी कॉमट्रेड के एक विश्लेषक ने बताया कि यदि ऐसा हुआ तो तय है कि मक्के का औसत हाजिर भाव 1,000 रुपये प्रति क्विंटल के पार चला जाएगा। ऐसी स्थिति में इसका वायदा भाव भी 1,050 रुपये प्रति क्विंटल के पार जाने की उम्मीद है। आज अगस्त और सितंबर डिलीवरी वाले मक्के का वायदा सौदा क्रमश: 1,039 रुपये और 1,058 रुपये प्रति क्विंटल के पार चला गया।