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चीनी मूल्य न बढ़ा तो बंद हो सकती हैं मिलें

Last Updated- December 08, 2022 | 8:07 AM IST

इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गन्ने की बढ़ी एसएपी रद्द करने की चीनी मिलों की मांग ठुकरा देने के बाद उत्तर प्रदेश के मिल मालिकों में काफी बेचैनी है।


उनका कहना है कि गन्ने के भुगतान की राशि बढ़ जाने से भविष्य में उनके लिए मिलों को चालू रख  पाना काफी मुश्किल होगा। मिल मालिकों का तर्क हैकि भुगतान राशि बढ़ने से चीनी की उत्पादन लागत में प्रति क्विंटल 100-150 रुपये की बढ़ोतरी हो जाएगी, लेकिन सरकारी नियंत्रण के कारण चीनी की कीमत में आगामी मार्च-अप्रैल तक बढ़ोतरी की कोई गुंजाइश नहीं है।

साथ ही लेवी की चीनी कम कीमत पर सरकार को देने से भी मिलों पर अतिरिक्त भार पड़ता है। चीनी की बिक्री पर सरकारी नियंत्रण खत्म करने की मांग को लेकर मिल मालिकों ने लामबंद होना शुरू कर दिया हैं।

चीनी मिल मालिकों ने बताया कि प्रांतीय सरकार ने साधारण, मध्यम व उत्तम किस्म के गन्ने के लिए क्रमश: 137, 140 व 145 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत तय की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी सरकार के इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी।

ऐसे में उन्हें इस दर से ही गन्ना किसानों को भुगतान करना पड़ेगा। पिछले साल उन्होंने 125 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को भुगतान किया था।

मिल मालिकों के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी के कारण उनकी लागत प्रति क्विंटल 100-150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ती नजर आ रही है, लेकिन चीनी की कीमत 1800-1850 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है।

इस साल उत्तर प्रदेश में चीनी के उत्पादन में 30 फीसदी की कमी के आसार हैं। परंतु इसका फायदा मिल मालिकों को फिलहाल होता नहीं दिख रहा है।

सरकारी नियंत्रण के तहत हर माह चीनी की बिक्री के लिए कोटा तय किया जाता है और उस तय कोटे में चीनी मिल की तरफ से न तो कोई इजाफा किया जा सकता है और न ही कोई कटौती।

दया सुगर मिल के सलाहकार डीके शर्मा कहते हैं, ‘आगामी मार्च-अप्रैल में चुनाव है और तब तक के लिए चीनी की कीमत में बढ़ोतरी की कोई उम्मीद नहीं है। किसी मिल के पास अतिरिक्त कोटा भी नहीं बचा है और उत्पादन भी कम है। फिर भी मिल मालिकों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है।’

हालांकि मिल मालिकों को इस बात की जरूर उम्मीद है कि आगामी अप्रैल के बाद चीनी की कीमत 24-25 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को छू सकती है। सरकारी बिक्री के लिए मिल को लेवी की चीनी कम कीमत पर देनी पड़ती है।

फिलहाल लेवी की चीनी के दाम लगभग 1300 रुपये प्रति क्विंटल है जो कि उनकी लागत से लगभग 500 रुपये प्रति क्विंटल कम है। मिल मालिक कहते हैं कि जब मिल ही नहीं रहेगी तो किसानों को भी भुगतान कहां से होगा।

वर्ष 2006-07 के दौरान देश भर में 283.28 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जबकि वर्ष 2007-08 के दौरान यह उत्पादन 263 लाख टन रहा।

First Published - December 9, 2008 | 11:14 PM IST

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