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भंडारगृह अधिनियम से सेकंडरी मार्केट को अधिक लाभ

Last Updated- December 09, 2022 | 4:29 PM IST

भंडारगृह अधिनियम (डब्ल्यूडीआरए) 2007 के सफलतापूर्वक लागू होने से कृषि जिंसों के उत्पादकों की तुलना में द्वितीयक बाजार को अधिक लाभ होने की संभावना है ।


क्योंकि रख-रखाव, परीक्षण और प्रमाणीकरण एक जगह होने से परिवहन और गुणवत्ता में कमी का जोखिम कम हो जाएगा। आज की तारीख में किसान अपने उत्पाद ‘आढ़तियों’ को बेचते हैं और उत्पादों की कीमतें आढ़तियों द्वारा ही तय की जाती है। कीमतों का वास्तविक लाभ आढ़तियों को मिलता है।

इस प्रकार, अधिकांश किसानों को उत्पादों की न्यूनतम कीमतें प्राप्त होती है जिसके परिणामस्वरूप वे मजबूरी में अपने उत्पाद बेचने पर विवश होते हैं। कुछ मामलों में तो किसानों को मंडी की वास्तविक कीमतों की तुलना में आधी कीमत ही मिल पाती है।

केंद्रीय भंडारगृह निगम (सीडब्ल्यूसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘डब्ल्यूआरडीए की व्यवस्था से किसानों को दो-तीन सालों बाद फायदा होगा क्योंकि तब वे बाजार द्वारा त्य मूल्यों पर अपने उत्पद बेच सकेंगे। बेंचमार्क कीमतों की जानकारी किसानों को रहेगी।

किसानों को नजदीक के भंडारगृहों में अपने उत्पादों के भंडारण की अनुमति रहेगी और कीमतें बढ़ने पर वे अपने उत्पादों को बेच सकेंगे।’ सीडब्ल्यूसी कृषि जिंसों की जांच और ग्रेडिंग करने के साथ-साथ भंडारगृह के रसीद भी जारी करती है।

एक आकलन के मुताबिक, बार-बार परिवहन और गलत रख-रखाव के कारण 25 प्रतिशत जिसों का नुकसान होता है जिसे घटा कर 10 प्रतिशत तक किया जाए तो आय में कम सेकम 1,00,000 करोड रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है।

एक मार्च को सरकार ने डब्ल्यूडीआरए की अधिसूचना की तारीख के रूप में घोषित किया जो विश्वसनीय एजेंसियों द्वारा जारी की गई भंडारगृह के रसीदों को खरीद-फरोख्त के लायक बनाएगा। इसके साथ ही भंडारगृह के रसीद जिंसों की भौतिक गुणवत्ता और मात्रा की जांच के जरूरत के बिना भी हस्तांतरणीय होंगे।

एमसीएक्स की भंडारण इकाई नैशनल बल्क हैंडलिंग कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक अनिल चौधरी ने कहा कि इससे तंत्र में भरोसा बढ़ेगा और प्रमाणपत्र विश्वास के साथ बेचे जा सकेंगे।

लेकिन, द्वितीयक बाजार के लाभ किसानों को भी कृषि बाजार की परिपक्वता के बाद प्राप्त होंगे। इसे विकसित होने में कम से कम दो-तीन साल लगेंगे।

आज किसान स्थानीय मंडी की कीमतों या सरकार द्वारा घोषित की गई न्यूनतम समर्थन मूल्यों का आकलन किए बिना अपने उत्पाद बड़े पैमाने पर आढ़तियों को बेचते हैं।

नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज की भंडारण इकाई नैशनल कोलैटरल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संजय कौल ने कहा कि इस प्रणाली में अभी संदेह है और इसलिए कानून के लागू होने से पहले कुछ मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता है।

इस अधिनियम में राज्य और केंद्र सरकार की कर संरचना का निश्चित अनुपात स्पष्ट नहीं किया गया है। इसमें केंद्र और राज्य सरकार के लाइसेंसों के साथ-साथ ग्रेडिंग और प्रमाणीकरण से संबंधित अस्पष्टता भी है।

कौल ने कहा कि डब्ल्यूडीआरए में कानूनी मुद्दों की तुलना में परिचालन संबंधी जटिलताएं अधिक हैं जिन्हें इसके लागू होने से पहले स्पष्ट किए जाने की जरूरत है।

First Published - January 1, 2009 | 10:22 PM IST

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