रूस द्वारा देश के सात और प्रयोगशालाओं को निर्यात से पूर्व तिल के बीजों की जांच करने की अनुमति दे दी गई है।
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस अनुमति के बाद देश से रूस समेत तमाम देशों को तिल के किए जाने वाले निर्यात में खासी बढ़ोतरी होगी। रूस के इस कदम के बाद तिल का निर्यात बढ़ने की उम्मीद से तिल निर्यातकों के चेहरे पर इस वक्त मुस्कान देखी जा रही है।
गौरतलब है कि अब तक केवल दिल्ली के श्रीराम इंस्टीटयूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च के पास ही तिल के बीजों का निर्यात से पहले जांच करने और गुणवत्ता संबंधी प्रमाण-पत्र जारी करने का अधिकार था। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार, तिल के बड़े उत्पादक राज्यों जैसे गुजरात और महाराष्ट्र से इसके बीजों को जांच और प्रमाणीकरण के लिए दिल्ली की प्रयोगशाला में लाना वाकई में टेढ़ी खीर रहा है।
रूस ने इस मुश्किल को अब जाकर समझा है और इस तरह उसने कई और प्रयोगशालाओं को जांच और प्रमाणन की ये प्रदान की है। देश में सिंगल विंडो सर्टिफिकेशन सिस्टम की मौजूदगी के चलते पिछले साल इसके निर्यात में नाटकीय गिरावट देखने को मिला।
अप्रैल 2006 से फरवरी 2007 के बीच जहां रूस को 4,512 टन तिल के बीजों का निर्यात किया गया वहीं अप्रैल 2007 से फरवरी 2008 के बीच इसमें जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। इंडियन ऑयलसीड्स ऐंड प्रोडयूस एक्सपोट्र्स असोसियशन के अध्यक्ष संजय शाह ने बताया कि पिछले महीने रूस ने देश में सात और प्रयोगशालाएं खोलने को अनुमति दे दी है।