वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि सरकार कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) की अधिसूचना जारी करने की बाबत उचित समय आने पर विचार करेगी।
इसके साथ ही उन्होंने अन्य उत्पादों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की संभावना से इनकार किया है। इस सवाल पर कि संसद की मंजूरी के बावजूद सीटीटी की अधिसूचना जारी करने में देरी क्यों हो रही है, चिदंबरम ने कहा – ‘हम देखेंगे…. कम से कम पहले साल में यह अधिक राजस्व कमाने का माध्यम नहीं बनता नजर आता है।
हम इस पर उचित समय आने पर विचार करेंगे।’ उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) की तरह सीटीटी के जरिए व्यवस्था कायम करने और बाजार का उतार-चढ़ाव कम करने का इरादा है। यह पूछने पर कि क्या सरकार अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाने का इरादा रखती है, चिदंबरम ने कहा, अब प्रतिबंध लगाने के लिए और कुछ नहीं रह गया है।
चिदंबरम ने इस साल के बजट में सीटीटी लागू करने का प्रस्ताव रखा था। यह एसटीटी की ही तरह होगा। प्रस्ताव के मुताबिक एक लाख रुपये तक के लेनदेन पर 17 रुपये का सीटीटी लगेगा। इस प्रस्ताव का कमोडिटी एक्सचेंजों और नियामक वायदा बाजार आयोग ने विरोध किया था। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल का उत्पादन हम नहीं करते। कच्चे तेल का कारोबार अन्य बाजारों में होता है। कच्चे तेल की कीमत भारतीय बाजार में नहीं तय होती।
कच्चे तेल की कीमत न्यू यॉर्क स्थित नाइमैक्स और लंदन का आईसीई तय करते हैं। इस्पात के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, कि मुझे नहीं पता। इस्पात का कारोबार तो होता है, इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन क्या इसमें उतार-चढ़ाव होता है? उन्होंने कहा कि इसमें उतारचढ़ाव नहीं होता। सोने के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि सोने की कीमत भारतीय बाजार तय नहीं करता है बल्कि विश्व के अन्य बाजार तय करते हैं।
केन्द्र सरकार ने गेहूं, चावल, अरहर और उड़द के वायदा कारोबार पर पिछले साल की शुरुआत में प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में मई 2008 में सोया ऑयल, रबर, चना और आलू के वायदा कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। राजनीतिक दलों का आरोप था कि इस तरह के कारोबार से कीमतें आसमान छू रही हैं। यह पूछने पर कि क्या वायदा कारोबार पर प्रतिबंध से खाद्य उत्पादों की कीमतें नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, वित्त मंत्री ने कहा, विशेषज्ञ समिति के मुताबिक वायदा कारोबार पर प्रतिबंध और मूल्यों के बीच कोई संबंध नहीं है।
उन्होंने कहा, विशेषज्ञों की राय कुछ भी हो, हमने वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया। आप इसे चाहे बुध्दिमत्तापूर्ण आर्थिक फैसला या बुध्दिमत्तापूर्ण राजनीतिक फैसला मानें, लेकिन हमने फैसला तो कर ही लिया है। यह पूछने पर कि क्या वह वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाकर खुश हैं, चिदंबरम ने कहा, देखिए, सवाल यह नहीं है कि मैं खुश हूं या नाखुश। सभी राजनीतिक दलों, यहां तक कि मेरे राजनीतिक दल की भी यही मांग थी। इसीलिए हमने उसे स्वीकार कर लिया।
चिदंबरम ने कहा कि लोकतंत्र में कभी कभी आपको राजनीतिक दलों (अपनी पार्टी सहित) की मांग पूरी करनी होती है, भले ही विशेषज्ञ कहें कि प्रतिबंध और मूल्य के बीच कोई संबंध नहीं है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ाने में अटकलबाजी के योगदान को लेकर जेद्दा में दिए गए अपने हाल के बयान पर टिप्पणी करते हुए चिदंबरम ने कहा कि इसके सबूत हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय के पास प्रचूर अध्ययन सामग्री है। जेद्दा जाने से पहले मैंने इसका अध्ययन किया था। हम जानते हैं कि 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर के किसी भी मूल्य में निश्चित रूप से अटकलबाजी की भूमिका है।