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मंदी की मार से कमजोर हुई तेल की धार

Last Updated- December 05, 2022 | 7:02 PM IST

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार चौथे दिन गिरावट दर्ज की गई। अमेरिका में कच्चे तेल के पर्याप्त भंडार की खबरों के चलते तेल की कीमतों में कमी का दौर जारी है।


इसका असर एशियाई बाजारों में भी देखने को मिला है। न्यू यॉर्क के प्रमुख ऑयल कान्ट्रैक्टर ने कच्चे तेल के लिए मई में जो सौदा किया है, उसके तहत कच्चे तेल कच्चे तेल की कीमतों में 3 सेंट से लेकर 0.62 डॉलर प्रति बैरल की कमी आई है। एक वक्त कच्चे तेल की कीमतें 102.18 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गई थीं। लंदन के ब्रेंट नॉर्थ में भी मई में तेल के वायदा कारोबार में 6 सेंट की कमी के चलते कीमत 99.5 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।


अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (एनर्जी इनफोर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन, ईआईए) ने बताया कि 28 मार्च को समाप्त हुए सप्ताह में अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार 740 लाख बैरल बढ़कर 3192 लाख बैरल हो गया है। इसने विश्लेषकों के उस अनुमान को भी पीछे छोड़ दिया, जिसमें इसके 22.5 लाख बैरल तक बढ़ने का अंदाजा लगाया गया था।


ईआईए ने यह भी जानकारी दी कि अमेरिका में पेट्रोल या गैसोलीन के स्टॉक में भी पिछले सप्ताह 45 लाख बैरल की कमी आई है। जबकि बाजार के जानकार इसमें केवल 25 लाख बैरल की कमी का अंदाजा लगाए हुए थे। सकडेन के विश्लेषक रॉबर्ट मांटेफ्यूस्को ने इस बाबत कहा, ‘कच्चे तेल के स्टॉक को बढ़ाने में हम कामयाब रहे हैं, लेकिन हमें गैसोलीन के गिरते स्टॉक की ओर भी देखना होगा।’


गौरतलब है कि अमेरिका की गैसोलीन वाली रिपोर्ट के चलते ही एशियाई बाजारों में तेल की कीमतें आसमान की ओर ताकने लगी थीं। अब जाकर इसमें कुछ राहत मिली है। इस मामले में सिंगापुर के पुरविन एंड गेर्ट्ज के प्रमुख विक्टर शूम का कहना है कि पिछले दिन कीमतों में अभूतपूर्व बदलाव बाजार की अतिप्रतिक्रिया के चलते ही आए हैं।


वैसे अमेरिकी फे डरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बर्नान्के कारोबारियों को चेता चुके हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को साल की पहली छमाही में मंदी की मार झेलनी पड़ सकती है।

First Published - April 4, 2008 | 12:06 AM IST

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