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निर्यात मूल्य बढ़ाने पर भी नहीं थमा प्याज का निर्यात

Last Updated- December 07, 2022 | 3:02 PM IST

निर्यात को हतोत्साहित करने के इरादे से दो बार प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) बढ़ाए जाने के बावजूद निर्यात पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।


इसके बाद भी जुलाई में प्याज का निर्यात दोगुने से ज्यादा बढ़कर 1.54 लाख टन तक पहुंच गया। पिछले साल की जुलाई में देश से 61,629 टन प्याज का निर्यात किया गया था।

गौरतलब है कि प्याज का निर्यात नैफेड के जरिए किया जाता है जो अन्य 12 एजेंसियों के परामर्श से हर महीने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय करता है। ये एजेंसियां ही निर्यातकों को निर्यात के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करती है। महीने की शुरुआत में ही नैफेड ने जुलाई के लिए प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 25 डॉलर बढ़ाकर 180 डॉलर प्रति टन कर दिया था।

महीने के मध्य में नैफेड ने एक बार फिर एमईपी में 50 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी कर दी। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से जुलाई की अवधि में प्याज के निर्यात में 77 फीसदी की वृद्धि हुई है। पिछले साल इस दौरान 3.11 लाख टन मक्के का निर्यात हुआ था पर इस साल इस अवधि में 5.51 लाख टन मक्के का निर्यात हो सका है। दक्षिण भारत में पैदा होने वाले प्याज का निर्यात श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर को किया जाता है। जबकि नासिक के प्याज का निर्यात लगभग सभी जगहों विशेषकर खाड़ी के देशों में किया जाता है।

भारत ने 2007-08 में केवल 9.96 लाख टन मक्के का निर्यात किया था। वहीं 2006-07 की अवधि में 11.61 लाख टन मक्के का निर्यात किया जा सका था। रुपये में देखें तो पिछले साल निर्यात में 19 करोड़ की कमी हुई थी। 2007-08 में यह घटकर 1,116 करोड़ रुपये तक आ पहुंचा था। घरेलू बाजार में कीमतों के बढ़ने पर नैफेड ने अगस्त के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य में बढ़ोतरी कर दी।

फिलहाल इसे 250 डॉलर प्रति टन तक पहुंचा दिया गया है। प्याज के मुख्य उत्पादक क्षेत्र महाराष्ट्र में प्याज का निर्यात मूल्य 1 जुलाई को जहां 500 से 550 रुपये प्रति क्विंटल था, वहीं वर्तमान में इसका मूल्य 850 से 880 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। दिल्ली में प्याज का खुदरा मूल्य फिलहाल 12 रुपये से 16 रुपये किलो है।  थोक भाव में 1 जुलाई से अब तक 54 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है।

First Published - August 4, 2008 | 11:46 PM IST

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